- भारत खबर || नई दिल्ली
देश में केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए कृषि कानून के विरोध को लेकर विरोध प्रदर्शन भारी मात्रा में जारी है। बताते चले कि पंजाब में किसानों ने रेल रोको आंदोलन भी चलाया हुआ है। जिसके चलते विद्युत उत्पादकों को भी भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। बताते चलें कि कृषि कानूनों के विरोध के लिए पंजाब में किसान संगठनों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। सभी किसान अपनी मांगों को मनवाने के लिय केन्द्र सरकार के खिलाफ भारी तादात में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। बताते चलें कि इस बीच केंद्र सरकार के बुलावे पर आज पंजाब के किसान संगठनों का एक प्रतिनिधिमंडल राजधानी दिल्ली में प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात कर बातचीत करेगा।
सूचना के मुताबिक पता चला है कि प्रशासनिक अधिकारियों से होने वाली बातचीत में प्रदर्शनकारी किसान अपने पक्ष की बात रखेंगे और उसमें अपनी मांगों को पूरा कराने के ज्ञापन भी देंगे। इसी के चलते वार्ता होने के बाद किसान अपनी नई रणनीति तय करेंगे। सभी किसानों का कहना है कि 15 अक्टूबर को पंजाब सरकार के साथ तभी किसान संगठनों की अहम बैठक होगी। जिसमें कृषि कानूनों को वापस लेने का प्रस्ताव रखा जाएगा व किसानों ने पंजाब सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि वह 14 अक्टूबर को कैबिनेट की मीटिंग में केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ एक विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की तिथि जारी करें।
बताते चलें कि किसानों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर आंदोलन को लेकर रेलों का आवागमन बंद हो गया है। जिससे कोयले की मालगाड़ी भी नहीं आ पा रही है। कोयला ना पहुंचने से विद्युत पैदा करने वाले संस्थानों को बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। पंजाब में बिजली की कटौती भरपूर मात्रा में हो रही है। क्योंकि बिजली नहीं बन पा रही है। अधिकारियों का कहना है कि थर्मल प्लांट में कोयला ना पहुंचने के कारण विद्युत उत्पादन करने में परेशानी हो रही है ।
थर्मल प्लांट ने अपनी सूचना के अनुसार बताया कि उन पर केवल 4 या 5 दिन काम करने के लिए कोयला बचा है। यदि किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन इसी तरह चलता रहा और कोयले नहीं आ पाया तो सभी को बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।
बताते चलें कि पंजाब में 5 थर्मल प्लांट है जो रोजाना लगभग 4000 मेगावाट बिजली पैदा करते हैं। लेकिन अभी से कम करके 2000 मेगा वाट में परिवर्तित कर दिया गया है। यदि कोयले की सप्लाई ना हो पाई तो यह संख्या भी शून्य हो जाएगी। विद्युत संयंत्रों का भी यही कहना है कि पंजाब सरकार को इस मुद्दे पर जल्द से जल्द अहम फैंसला लेना चाहिए अन्यथा भारी मुसीबत का सामना करना पड़ता है।