काबुल। अमेरिका द्वारा आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को खरी-खोटी सुनाए जाने के बाद अब अफगानिस्तान ने भी उससे दूरी बना ली है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने बुधवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी से फोन पर बात करने से साफ मना कर दिया। हालांकि इस दौरान पीएम मोदी के फोन को उन्होंने उठा लिया और उनसे विकास के मुद्दे और आतंकवादियों की पनाहगाह को खत्म करने को लेकर चर्चा की। गनी ने ट्वीट करते हुए बाताया कि पीएम मोदी ने मुझे फोन पर मानवता के दुश्मनों द्वारा हाल ही में की गई कई मासूम लोगों की हत्याओं पर अपनी संवेदना व्यक्त की।
वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का कहना है कि मैंने गनी को फोन किया था, लेकिन उन्होंने मेरा फोन नहीं उठाया। अफगान के राष्ट्रपति का कहना है कि पीएम मोदी ने हमारे पड़ोस में आतंकियों की सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म करने की जरूरत पर चर्चा की। गनी ने कहा कि भारत ने हमेशा से अफगानिस्तान के लोगों की मदद की है और वो हम लोगों का सच्चा दोस्त है। भारत हमारे दुख और दर्द को हमेशा साझा करता है। बताया जा रहा है कि पाक के पीएम ने हाल ही में काबुल में हुए हमले को लेकर गनी को फोन किया था, लेकिन उन्होंने पाक पीएम का फोन उठाने से सख्त लहजे में मना कर दिया।
दूसरी तरफ जब इसी मुद्दे पर पीएम मोदी ने उन्हें फोन किया तो गनी ने पीएम मोदी के साथ आतंकवाद और विकास के मुद्दे को लेकर काफी देर तक चर्चा की। गौरतलब है कि गनी ने काबुल में हाल में हुए हमलों से जुड़े सबूतों को सौंपने के लिए अपना एक प्रतिनिधिमंडल इस्लामाबाद भेजा है। ये सबूत पाकिस्तान की सेना के साथ भी साझा किए जाएंगे। अफगानिस्तान का आरोप है कि इस्लामाबाद आतंकी संगठनों को समर्थन देता है, जो देश में निर्दोष नागरिकों का कत्लेआम करते हैं। एक दिन पहले ही अफगानिस्तान के राजनयिक ने काबुल होटल पर हुए हमले में पाक खुफिया एजेंसी के कनेक्शन का खुलासा किया था।