लखनऊ। पंजाब की रोपण जेल से बांदा भेजे गए मुख्तार अंसारी को लेकर सोशल मीडिया पर दो फाड़ हो गया है। एक पक्ष मुख्तार के खिलाफ लगातार लिख रहा है तो वहीं दूसरा पक्ष मुख्तार अंसारी को मसीहा तक की उपाधि दे रहा है।
बाहुबली मुख्तार अंसारी के नाम पर सियासी गलियारे लेकर गांव के चट्टी चौराहे तक चर्चे हो रहे हैं। हर किसी की जुबां पर मुख्तार अंसारी का ही जिक्र है। मऊ सदर से बहुजन समाज पार्टी के इस विधायक को लेकर तमाम किंवदंतियां हैं। विरोधी जहां सरकार की कार्रवाईयों के बाद मुख्तार को कमजोर बताने पर तुला हुआ है तो वहीं समर्थकों का कहना है कि मुख्तार किसी के भी आगे घुटने टेकने वाली शख्शियत नहीं हैं।
क्या कहते हैं मुख्तार विरोधी
मुख्तार अंसारी को जब पंजाब से बांदा की जेल में भेजा जा रहा था तो सोशल मीडिया पर एक तबका लगातार उनके खिलाफ लिख पढ़ रहा था। कई जोक्स भी बन रहे थे। गाड़ी पलटने से लेकर तमाम तरीके की बातें की जा रही थीं। लेकिन, मुख्तार सुरक्षित बांदा पहुंच गए।
सबसे ज्यादा चर्चा मुख्तार पर
मुख्तार इन दिनों अखबार से लेकर टीवी चैनलों की प्रमुख सुर्खियां बने हुए हैं। उन पर घंटों बहस की जा रहीं हैं। अखबारों कई कई पन्नों की स्टोरी कर रहे हैं। कानूनी विशेषज्ञ से लेकर समाजशास्त्रियों से उनकी राय पूछी जा रही है। गूगल पर सर्च इंजन में सबसे ज्यादा मुख्तार सर्च किए जा रहे हैं।
सोशल मीडिया पर लोग उतरे पक्ष में
सोशल मीडिया पर अब एक बड़ा तबका मुख्तार अंसारी के पक्ष में दलीलें दे रहा है। आलम यह है कि मुख्तार को कई लोग मसीहा बता रहे हैं तो कई लोग सामंतवाद के खिलाफ सबसे मजबूत आवाज बता रहे हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता अजीत यादव सोनू कहते हैं कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ एकतरफा तथ्य परोसे गए हैं। लेकिन, क्या कोई बता सकता है कि अगर मुख्तार इतने बुरे हैं तो वो बार बार विधायक क्यों चुने जाते हैं। आप पूर्वांचल की जनता से पूछेंगे तो हकीकत पता चलेगी।
अजीत आगे कहते हैं कि वास्तव में मुख्तार अंसारी ने सामंतवाद के खिलाफ बिगुल बजाया था। कमजोर तबके से आने वाले लोगों की आवाज बने थे। यही कारण है कि उनके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए।
अजीत यादव ने फेसबुक पर दो पोस्ट भी लिखी हैं। उसमें मुख्तार परिवार के ऐतिहासिक पहलुओं का भी वर्णन करते हैं।
वहीं रविंद्र राव लिखते हैं कि – ‘मुख़्तार अंसारी 5 बार के लोकतान्त्रिक तरीके से चुने गए विधायक हैं। पूर्वांचल के शोषित , वंचित , दलित ,पिछड़े व पसमांदा समाज के बीच रॉबिनहुड की छवि है। कुछ लोग बार- बार गाड़ी पलटने के कयास लगाकर हंसी ठिठोली कर रहे हैं।
रविंद्र कहते हैं उनको मालूम होना चाहिए कि बदमाश और बाहुबली में फर्क होता है। विकास दुबे एक सड़कछाप बदमाश था और मुख़्तार अंसारी का 5 बार का विधायक होना उनके जन नेता होने का सबूत है। वो अपनी इस पोस्ट में कई सवाल भी खड़े करते हैं।’
सोशल मीडिया पर अपनी धारदार लेखनी के लिए जाने जाने वाले सत्येंद्र पीएस लिखते हैं – ‘वह 5 बार विधायक रहा। उसकेे दादा डॉ. मुख़्तार अहमद अंसारी 1927–28 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। उनके नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान अंसारी ‘नौशेरा के शेर’ थे और उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, ओडिशा के पूर्व राज्यपाल शौकत उल्लाह अंसारी, इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज रहे न्यायमूर्ति आसिफ अंसारी से उसके पारिवारिक रिश्ते हैं।’
उसके पिता सुभान अल्लाह अंसारी ने देश की आज़ादी की लड़ाई में भाग लिया था और वह कम्युनिस्ट नेता थे। बेटा अब्बास अंसारी राष्ट्रीय स्तर का शूटर है। भाई अफ़ज़ाल अंसारी ग़ाज़ीपुर से सांसद हैं।’
‘आखिर किस प्वाइंट पर गड़बड़ हुई कि उस विधायक को पूर्वांचल का शेर, जनता का मसीहा, लोकनायक, संत, कुलभूषण इत्यादि न कहकर माफिया, गैंगेस्टर, हत्यारा कहा जाता है?’