राजस्थान के बागी नेता सचिन पायलट के बागी तेवरों के चलते कांग्रेस की सरकार राजस्थान से जाते-जाते बची है। सचिन की बगावत को देखकर ही कांग्रेस ने सचिन को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था। अब खबर आ रही है कि, राहुल गांधी से सचिन पायलट की मुलाकात के बाद समझौता हो गया है।
कांग्रेस ने सचिन पायलट के साथ समझौते की पुष्टि कर दी है। कांग्रेस का कहना है कि सचिन पायलट की शिकायतों को दूर करने के लिए 3 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। राजस्थान में चल रहे राजनीतिक उथल-पुथल के बीच सचिन पायलट की ओर से कमेटी शिकायत सुनेगी। इस मुलाकात में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी मौजूद रहीं। पायलट कैंप सूत्र ने बताया कि राहुल गांधी ने हर शिकायत दूर करने का भरोसा दिया है। यह भी बताया कि अभी और भी मुलाकात होगी।
सचिन पायलट और अन्य बागी विधायक कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ मुलाकात करने वाले हैं। कहा जा रहा है कि इस मुलाकात में उन कड़वाहटों को मिटाने की कोशिश की जाएगी जिसकी वजह से गहलोत सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे थे। पिछले दिनों एनसीआर में किसी स्थल पर प्रियंका गांधी और सचिन पायलट के बीच मुलाकात हुई थी। जिसके बाद यह तय हो पाया है। प्रियंका और सचिन की मुलाकात के बाद कई स्तरों पर बातचीत भी हो चुकी है। और यह सब राजस्थान विधानसभा सत्र बुलाए जाने के पांच दिन पहले हुआ है।
सचिन पायलट ने सुलह के लिए अपनी कुछ शर्तें रखीं तो राहुल गांधी ने भी उन्हें उनके दोनों पदों पर वापसी का ऑफर दे दिया। 14 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र से पहले अब यह तय हो गया है कि पायलट ने गहलोत सरकार को अभयदान दे दिया है। सवाल यह है कि गहलोत की ओर से लगातार तल्ख जुबानी हमलों के बावजूद पायलट ने सरकार को अभयदान क्यों दिया? इसके पीछे अपनी वजहें हैं। सचिन पायलट के पास कांग्रेस के केवल 19 विधायक ही थे। तीन निर्दलीय विधायकों को मिला लें तो भी यह संख्या 22 ही पहुंच रही थी। 22 विधायकों की बगावत के बूते सरकार गिर सकती थी, तो बचने की संभावनाएं भी थीं।ऐसे में यह दोहरे जोखिम से भरा काम था।
https://www.bharatkhabar.com/high-risk-on-coronavirus-death-in-india/
इसलिए पायलट ने यूटर्न मारना ही बेहतर समझा। उनकी समझदारी ने अशोक गहलोत की एक बार फिर से कुर्सी बचा ली है तो वहीं कांग्रेस में भी अपनी वापसी करा ली है।