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रोबोट ने बदला सर्जरी का तरीका, सक्सेस रेट भी ज्यादा

WhatsApp Image 2021 08 21 at 3.04.59 PM रोबोट ने बदला सर्जरी का तरीका, सक्सेस रेट भी ज्यादा

लखनऊ। बुजुर्ग पिता की खराब किडनी आखिरी चरण में पहुंच गई तो 32 साल की बेटी ने अपनी बाईं किडनी दान कर उनकी जान बचाई। 62 वर्षीय रामनरेश निगम को हाइपरटेंशन और डायबिटीज की पुरानी बीमारी थी और वह क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के एडवांस स्टेज से जूझ रहे थे, इसलिए उन्हें तत्काल किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत थी।

मरीज और डोनर को मैक्स हॉस्पिटल साकेत में भर्ती कराया गया था और उनकी चिकित्सा स्थिति जानने के लिए संपूर्ण जांच की गई। अंजलि निगम की किडनी पिता के लिए उपयुक्त पाई गई और अपनी किडनी दान करने के लिए राजी थीं।

लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मैक्स हॉस्पिटल में यूरोलॉजी, रेनल ट्रांसप्लांट, रोबोटिक्स और यूरो ऑन्कोलॉजी के चेयरमैन डॉ.अनंत कुमार ने बताया, ‘दानकर्ता की उम्र को देखते हुए सभी प्रक्रियाओं पर बारीकी से नजर रखी गई और हमारी टीम ने जनरल एथेस्थेसिया के तहत रोबोटिक लिविंग डोनर रेनल एलोग्राफ्ट ट्रांसप्लांट करने का फैसला किया। ट्रांसप्लांट से पहले की संपूर्ण प्रक्रिया पूरी करने और कार्डियोलॉजी तथा साइकियाट्री द्वारा सहमति मिल जाने के बाद मरीज की ट्रांसप्लांट सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी की गई।

इसी तरह जनरल एनेस्थेसिया की मदद से बेटी की बाईं किडनी निकालने के लिए लेप्रोस्कोपिक डोनर नेफ्रेक्टोमी प्रक्रिया अपनाई गई जिसमें ऑपरेशन के बाद कोई प्रतिकूल परेशानी नहीं आई। ऑपरेशन के बाद मरीज तेजी से रिकवर करने लगा और उसका यूरिन भी आसानी से पास होने लगा। उसके क्रिएटिनाइन लेवल में तेजी से कमी आते ही उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।’ आज के समय में रोबोटिक सर्जरी सबसे उन्नत किस्म की सर्जरी है। परम्परागत ओपन सर्जरी के साथ-साथ लैपरोस्कोपिक सर्जरी की तुलना में रोबोटिक सर्जरी के अनेक फायदे हैं।

उन्होंने बताया कि देश में किडनी फेल्योर या क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) के मामले, ऑटोइम्यून बीमारियों, मधुमेह, दवा या शराब की लत, मूत्र मात्र की समस्याओं, निर्जलीकरण और यहां तक कि हृदय संबंधी संबंधित समस्याओं आदि विभिन्न कारकों से तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे मामलों में ’किडनी ट्रांसप्लांट एकमात्र अंतिम समाधान होता है, इसलिए किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी के विभिन्न पक्षों को समझना रोगियों और उनके परिवारों के लिए अत्यावश्यक है। जिन्हें किडनी की अत्यंत गंभीर बीमारी है उन्हें किडनी ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत होती है जिसमें किडनी का प्रत्यारोपण किया जाता है।

डॉ. कुमार ने कहा, ‘रोबोट की मदद से होने वाली सर्जरी ने आजकल पूरी दुनिया में सर्जरी का तौर तरीका ही बदल दिया है। इस तरह की सर्जरी में न्यूनतम रक्तस्राव, तेज रिकवरी, अस्पताल में बहुत कम समय रहने की नौबत और सामान्य जीवन की ओर तेजी से लौटने का फायदा मिलता है। हमें समझना होगा कि दान की गई किडनी का शारीरिक गतिविधियों और क्षमताओं पर कोई असर नहीं पड़ता, बल्कि इससे मरीज का जीवनकाल बढ़ हजाता है। हम दानकर्ता की किडनी भी लेप्रोस्कोपिक पद्धति से ही निकालते हैं ताकि दानकर्ता को कम से कम असुविधा हो और उसका शारीरिक सौंदर्य भी बना रहे।’

रोबोटिक सर्जरी में सर्जन रोबोटिक आर्म की मदद से सर्जरी को अंजाम देते हैं। रोबोटिक सर्जरी में विशेष उपकरणों का उपयोग किया जाता है। ये उपकरण रोबोटिक आर्म के अगले हिस्से पर लगे होते हैं। सर्जरी वाली जगह को बड़ा करके देखने के लिए उच्च परिशुद्ध कैमरा होता है। इसके अलावा इसमें बहुत ही छोटा चीरा लगता है जिसका निषान बिल्कुल नहीं या बहुत कम रहता है। इसमें रक्त की बहुत कम क्षति होती है और मरीज जल्द से जल्द स्वास्थ्य लाभ करता है। मरीज किसी भी बड़ी सर्जरी के बाद 24 घंटे के भीतर चलने-फिरने लगता है।

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