आज गुरूओं के गुरू महागुरू रविंद्र नाथ टैगौर की 159 वीं जयंती है। गुरुदेव नाटककार, संगीतकार, चित्रकार, लेखक, कवि और विचारक थे।
इन्होंने ‘जन गण मन’ और ‘आमार सोनार बांग्ला’ की रचना की है, जो दो देशों भारत और बंगलादेश का राष्ट्रगान है। इनकी रचना गीतांजलि के लिए इन्हें 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया। इनकी रचनाएं आज भी पढ़ी और गाई जाती हैं।
यही कारण है की रविंद्र नाथ टैगौर को गुरूओं का गुरू कहा जाता है। रविन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई को 1861 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के मशहूर जोर सांको भवन में हुआ था।
इनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर था, जो कि ब्रह्म समाज के नेता थे और माता का नाम शारदा देवी था। रविंद्र नाथ अपने भाई-बहन में सबसे छोटे थे। इन्हें बचपन से ही गायन, कविता और चित्रकारी में रुचि थी। यही कारण है की इन्हें देश ही नहीं दुनिया में भी जाना जाता है।
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‘गीतांजलि’ की रचना की, जिसके लिए 1913 में इन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया। ‘गीतांजलि’ दुनिया की कई भाषाओं में प्रकाशित किया गया। जिसे आज भी लोग पढ़ते और याद करते हैं। दुनिया को तमाम रचनाएं देने वाले बहुमुखी रविन्द्र नाथ टैगोर का 1941 में निधन हो गया।