नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सभी मंत्रियों को ये आदेश दिए है कि वो पता लगाए की सरकार के चार साल के कार्यकाल में कितनी नौकरियां पैदा हुई हैं। पीएम का ये कदम साल 2019 के आम चुनाव के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। खबरों के मुताबिक मंत्रालयों से कहा गया है कि वे एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें जिससे ये पता चल सके कि मंत्रालयों द्वारा चलाए गए प्रोजेक्ट और कार्यक्रमों से कितने लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं। मंत्रालयों से कहा गया है कि वे जीडीपी के बढ़ाने से उनके कार्यक्रमों पर क्या असर पड़ा इसका जवाब भी दे।
बता दें कि मोदी सरकार के रिपोर्ट कार्ड में नौकरियों पर ध्यान केंद्रित करने का उद्देश्य पीएम मोदी के बारे में बन गई है उस धारण को तोड़ना है कि हर साल एक करोड़ नौकरियां पैदा करने के अपने वादे को पूरा करने में नाकाम रही है। दूसरी तरफ विपक्ष का कहना है कि सरकार अपने 2014 के वादे के मुताबिक सालाना एक करोड़ नौकरियां पैदा करने में नाकाम रही है। ये आकड़ा बहुत कम हैं अगर वे अपने 2014 के चुनावी प्रदर्शन को दोहराना चाहते हैं, जब वे तीन दशकों में सबसे बड़े चुनावी जनादेश के साथ सत्ता में आए थे।
मोदी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर 26 मई को चार साल पूरे कर लेंगे और राज्यों के विधानसभा चुनावों में उन्हें मिले-जुले परिणाम देखने को मिले हैं। बीजेपी की अगली बड़ी परीक्षा 12 मई को होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव हैं। भले ही मोदी की लोकप्रियता कुछ वर्ग के मतदाताओं में कम हुई हो लेकिन वे निवेशकों के पसंदीदा हैं। 2019 में एक बंटा हुआ जनादेश विदेशी निवेशकों को भारत में पैसा लगाने से चौकन्ना कर सकता है, खासकर जब अन्य देशों में ब्याज दरें बढ़ रही हैं। हालांकि सरकार ‘मेक इन इंडिया’ योजना लेकर आई जिससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने में मदद मिली है।
लेकिन इससे कितनी नौकरियां पैदा हुईं इस बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा मौजूद नहीं है। नोटबंदी से पहले दुनिया में तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था में गिरावट की आशंका व्यक्त की गई है। 31 मार्च 2018 को खत्म हुए वित्त वर्ष में विकास दर पिछले चार साल में सबसे निचले स्तर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था के अच्छे समय के दौरान भी बेरोजगारी दर बहुत ज्यादा बनी रही। जिससे मोदी के विरोधियों को यह कहना पड़ा कि 2.3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बिना रोजगार पैदा किए ही बढ़ रही थी।