नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को यहां पहले राष्ट्रीय जनजातीय उत्सव का उद्घाटन करेंगे। इसका उद्देश्य जनजातियों में समग्रता की भावना को बढ़ावा देना है। यहां जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, इस उत्सव में जनजातीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं का बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया जाएगा और उन्हें बढ़ावा दिया जाएगा।
बयान के अनुसार, इसके पीछे मुख्य धारणा जनजातीय जीवन की संस्कृति, परंपरा, रीति-रिवाज और कौशल से संबंधित विभिन्न पहलुओं को संरक्षण और बढ़ावा देने के अलावा जनजातियों के समग्र विकास के लिए संभावनाओं का उपयोग करने के दृष्टिकोण से आम जनता को रूबरू कराना है।
बयान में कहा गया है कि परंपरागत सामाजिक-संस्कृति पहलुओं पर दस्तावेजों का प्रदर्शन, कला/कलाकृतियों की प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेल, चित्रकला और परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों जैसे कौशल का प्रदर्शन इस चार दिवसीय आयोजन के मुख्य हिस्से होंगे।
बयान के अनुसार, पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों के लिए विस्तार) अधिनियम, 1996 (पीईएसए) और इसके कार्यान्वयन, जनजातीय समुदाय को लाभ और इसकी कामियां, वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) 2006, इसके निहितार्थ और राजनीति तथा भर्ती में आरक्षण भी इस कार्निवाल के हिस्से होंगे।
बयान में आगे कहा गया है कि कार्निवाल में संगीत और नृत्यों के प्रदर्शन, अन्य प्रदर्शनियां, शिल्प का प्रदर्शन, फैशन शो, पैनल वार्ता, पुस्तक मेला का आयोजन किया जाएगा। इसमें पूरे देश से लगभग 1600 जनजातीय कलाकारों और लगभग 8000 जनजातीय प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है।