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भारतीय सेना में सूबेदार रह चुके अब लड़ रहे नागरिकता की लड़ाई

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भारतीय सेना में सूबेदार रह चुके अब लड़ रहे नागरिकता की लड़ाई

भारतीय सेना में सूबेदार रह चुके रहशाहीदुल इस्लाम अब अपनी नागरिकता साबित करने की लड़ाई लड़ रहे हैं. आपको बता दे की असम स्थित बारपेटा के रहने वाले इस 43 वर्षीय जवान ने शाहीदुल ने उत्तर कश्मीर स्थित बारामुला में अपनी सेवा दी. बीते साल कोलकाता में पोस्टिंग से पहले सियाचिन ग्लेशियर में अपनी सेवा दे चुके थे. फिलहाल वह खुद को भारतीय नागरिक साबित करने के लिए बारपेटा जिले की ट्रिब्यूनल नंबर 11 में सुनवाई का सामना कर रहे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार शाहीदुल ने कहा ‘मैं कश्मीर, कारगिल और सियाचिन में पोस्टेड था. मैं अपने देश को प्यार करता हूं और उसकी रक्षा में खड़ा हूं, लेकिन असम में मेरी नागरिकता संदेह के घेरे में है.’ शाहीदुल के मामले पर 18 मार्च को अगली सुनवाई है. उन्होंने कहा ‘अगर मैं ड्यूटी पर रहा तो हो सकता है मैं सुनवाई के लिए मौजूद न रह सकूं.’
शाहीदुल ने कहा, राज्य सीमा पुलिस ने साल 2003 में मामला दर्ज किया था. रिपोर्ट के अनुसार शाहीदुल ने कहा, ‘विदेशी न्यायाधिकरण में पेश होने वाली पहली नोटिस पिछले साल अक्टूबर में आई थी. इसमें मेरी मां, भाई और मुझे 9 नवंबर को पेश होने के लिए कहा गया था.’
शाहीदुल के भाई 27 वर्षीय मिजानुर अली जो केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में कार्यरत हैं, 29 वर्षीय भाई देलबोर अली आर्मी मेडिकल कॉर्प्स में तैनात हैं. शाहीदुल के पिता अब्दुल हमीद की नागरिकता भी संदिग्ध मानी जाती रही. हमीद का साल 2005 में देहांत हो गया था.
असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को 852 लाइट रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल हरी नायर ने बीते साल 20 दिसंबर को लिखी चिट्ठी में कहा है कि शाहीदुल उनकी कमांड में हैं. चिट्ठी में कहा गया है कि शाहीदुल और उनके भाई देलबोर की सेना में भर्ती से पहले हुई पुलिस जांच में उन्हें भारतीय नागरिक बताया गया था.

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