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पीएम मोदी आज करेंगे नए संसद भवन का शिलान्यास, कोर्ट की मंजूरी मिलने के बाद ही होगा निर्माण कार्य शुरू

54a67cae 5f01 46e9 b105 c920f7698eba पीएम मोदी आज करेंगे नए संसद भवन का शिलान्यास, कोर्ट की मंजूरी मिलने के बाद ही होगा निर्माण कार्य शुरू

नई दिल्ली। नए संसद के शिलान्यास को लेकर तेजी से खबर चल रही हैं। इसी बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई संसद का शिलान्यास करेंगे। हालांकि अभी निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जाएगा। करीब 80 साल बाद देश में संसद की नई इमारत का निर्माण होना है। लेकिन भूमि पूजन और शिलान्यास के बाद भी इमारत का निर्माण शुरू नहीं हो सकेगा। वजह है सुप्रीम कोर्ट की रोक। सुप्रीम कोर्ट ने नई संसद समेत कई अहम सरकारी इमारतों वाले सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में किसी भी निर्माण पर फिलहाल रोक लगा रखी है। सुप्रीम कोर्ट की रोक का आधार सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला लंबित है। फैसला आने से पहले ही संसद के शिलान्यास पर कोर्ट ने केंद्र से सफाई मांगी थी। जवाब में केंद्र ने कहा था कि फैसला आने से पहले न तो सेंट्रल विस्टा में कोई निर्माण होगा, न ही किसी पुरानी इमारत को गिराया जाएगा। पेड़ों को दूसरी जगह लगाने का काम भी रुका रहेगा। ऐसे में यह साफ है कि नई संसद और दूसरी इमारतों का निर्माण तभी शुरू हो सकेगा, जब कोर्ट उसे मंजूरी देगा।

प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के लिए नया निवास भी बनाया जाएगा-

बता दें कि इस प्रोजेक्ट के तहत नए संसद परिसर का निर्माण किया जाएगा। इसमें 876 सीट वाली लोकसभा, 400 सीट वाली राज्य सभा और 1224 सीट वाले सेंट्रल हॉल का निर्माण होगा। इससे संसद की संयुक्त बैठक के दौरान सदस्यों को अलग से कुर्सी लगा कर बैठाने की ज़रूरत खत्म हो जाएगी। सेंट्रल विस्टा में एक दूसरे से जुड़ी 10 इमारतों में 51 मंत्रालय बनाए जाएंगे। अभी यह मंत्रालय एक-दूसरे से दूर 47 इमारतों से चल रहे हैं। मंत्रालयों को नजदीकी मेट्रो स्टेशन से जोड़ने के लिए भूमिगत मार्ग भी बनाया जाएगा। राष्ट्रपति भवन के नज़दीक प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के लिए नया निवास भी बनाया जाएगा। अभी दोनों के निवास स्थान राष्ट्रपति भवन से दूर हैं। केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को कई याचिकाओं के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इन याचिकाओं में कहा गया है कि बिना उचित कानून पारित किए परियोजना को शुरू किया गया। इसके लिए पर्यावरण मंजूरी लेने की प्रक्रिया में भी कमियां हैं। हजारों करोड़ रुपये की यह योजना सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी है। संसद और उसके आसपास की ऐतिहासिक इमारतों को इस परियोजना से नुकसान पहुंचने की आशंका है।

धन की बर्बादी को रोकने के लिए यह परियोजना बहुत जरूरी-

याचिकाओं के जवाब में सरकार ने कहा है कि मौजूदा संसद भवन और मंत्रालय बदलती जरूरतों के हिसाब से अपर्याप्त साबित हो रहे हैं। नए सेंट्रल विस्टा का निर्माण करते हुए न सिर्फ पर्यावरण का ध्यान रखा जाएगा, बल्कि हेरिटेज इमारतों को नुकसान भी नहीं पहुंचाया जाएगा। जिरह के दौरान केंद्र सरकार के वकील ने यह भी कहा था कि इस समय सभी मंत्रालय कई इमारतों में बिखरे हुए हैं। एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय जाने के लिए अधिकारियों को वाहन का इस्तेमाल करना पड़ता है। कुछ मंत्रालयों का किराया देने में हर साल सरकार के करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। यह कहना गलत है कि सेंट्रल विस्टा के निर्माण में सरकारी धन की बर्बादी हो रही है, बल्कि अब तक होती आ रही धन की बर्बादी को रोकने के लिए यह परियोजना बहुत जरूरी है।

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