नई दिल्ली। कृषि कानून के विरोध में आज किसान आंदोलन को 20वां दिन है। किसान अपनी मांगों को दिल्ली के चारों ओर डेरा डाले हुए है। इसके साथ ही आज फिर एक बार सरकार और किसानों के बीच बातचीत का दौर शुरू होगा। हालांकि इससे पहले हुई वार्ता में कोई भी निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। इसके साथ ही किसान आंदोलन के पीछे एमएसपी और फसलों की खरीद एक बड़ा मुद्दा है। किसान एमएसपी को भविष्य में बनाए रखने के लिए सरकार से लिखित गारंटी देने की मांग कर रहे हैं जिसपर सरकार राजी भी हो गई है। वहीं, एमएसपी पर क़ानून बनाने की भी मांग उठ रही है। इस बीच आज खाद्य और उपभोक्ता मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थाई समिति की बैठक बुलाई गई है।
बैठक में भारतीय खाद्य निगम के अधिकारी भी शामिल-
बता दें कि बैठक में खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों को बुलाया है। बैठक में फसलों की ख़रीद , उसके रखरखाव और वितरण के बारे में अधिकारियों से सवाल पूछे जाएंगे। मंत्रालय के साथ साथ बैठक में भारतीय खाद्य निगम के अधिकारी भी शामिल होंगे। सरकार की ओर से भारतीय खाद्य निगम (FCI) ही किसानों से मुख्य रूप से गेहूं और चावल के अलावा दलहन और तिलहन फसलों की ख़रीद कर उसका रखरखाव करती है। बैठक इसलिए भी अहम है, क्योंकि समिति के अध्यक्ष तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद सुदीप बंदोपाध्याय हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि समिति में अधिकारियों से एमएसपी को लेकर भी सवाल जवाब हो सकता है। हालांकि सरकार की ओर से प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री ने बार बार साफ किया है कि सरकार एमएसपी को हमेशा बनाए रखेगी और इसे कभी ख़त्म नहीं किया जाएगा।
सरकार ने मंडियों से की 3.75 करोड़ मीट्रिक टन धान की खरीद-
अपनी बात के समर्थन में सरकार अभी पंजाब समेत देश के कई राज्यों में चल रही धान की ख़रीद के आंकड़े बताती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ 13 दिसंबर तक सरकार ने क़रीब 13 राज्यों की अलग अलग सरकारी मंडियों से 3.75 करोड़ मीट्रिक टन धान की खरीद कर ली है। ये पिछले साल इसी समय तक की गई ख़रीद से लगभग 21 फ़ीसदी ज़्यादा है। अबतक हुई धान की ख़रीद में से 54 फीसदी धान केवल पंजाब के किसानों से ख़रीदी गई है। सरकार के मुताबिक, धान की चालू ख़रीद से अबतक 41 लाख से ज़्यादा किसानों को फ़ायदा हो चुका है।