नई दिल्ली। हमेशा से यह माना जाता रहा है कि बुढ़ापा खुद में एक रोग है। इस बात को गहराई से समझे तो पता चलता है कि बुढ़ापा आने पर बहुत से रोग अपने-आप व्यक्ति को अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं। जिससे बुढ़ापे में व्यक्ति को एक नहीं बल्कि कई रोगों के इलाज के लिए डॉक्टर के चक्कर काटने पड़ते हैं। आइये इस लेख के जरिये हम आपको जानकारी देते हैं ऐसी कुछ बीमारियों के बारें में जो बुढ़ापे में व्यक्ति को अपना शिकार बनाती हैं। यानी बुढ़ापे की दहलीज पर पहुंचते ही ये बीमारयिां भी व्यक्ति के जीवन में दस्तक देने लगती हैं। आइये आपको बताते हैं कि कौन सी बिमारियां आपको घेरने लगती हैं।
कम सुनाई देना
वृ़द्धावस्था में अधिकतर लोगों को सुनने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। उन्हें ठीक से सुनाई देना बंद हो जाता है क्योंकि इस उम्र में कान के पर्दे कमजोर हो जाते हैं। ऐसी स्थिती में हीयररिंग मशीन का सहारा लेना पड़ता हैं।
गठिया अथवा आॅथराइटिस होना
बुढ़ापे में हड्डिया कमजोर हो ही जाती हैं। डॉक्टरी भाषा में कहें तो अधिकतर बुजुर्ग गठिया रोग से ग्रसित हो ही जाते हैं। ये एक ऐसी बीमारी होती है जिसमें शरीर के सभी जोड़ो में सूजन हो जाती है, जिससे व्यक्ति को चलने-फिरने, उठने-बैठने मे काफी दिक्कत होने लगती है।
मोतियाबिंद
बुढ़ापे में आंखों से कम दिखाई देने लगता है। अधिकतर वृद्ध, आंखो के रोग मोतियाबिंद से पीड़ित हो जाते हैं । इस रोग में व्यक्ति का आॅप्टिक नर्व सिस्टम खराब होने लगता है और जब यह पूर्ण रूप से खराब हो जाता है, तो आंखों की रोशनी तक चली जाती है।
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अल्जाइमर होना
बुढ़ापे में अक्सर लोगों को भूलने की बीमारी हो जाती है, इस बीमारी को अल्जाइमर कहते हैं। यह बीमारी होने पर व्यक्ति की याद रखने की क्षमता प्रभावित होने लगती है और जैसे-जैसे बीमारी पुरानी होती जाती है धीरे-धीरे व्यक्ति कुछ भी याद नहीं रख पाने की पोजिशन में आ जाता है।
मस्कुलर डिजेनरेशन
आज का लाइफस्टाइल ऐसा हो गया है कि बुढ़ापे तक पहुंचते-पहुंचते मोटापा व्यक्ति को अपनी गिरफत में ले ही लेता है। इस मोटापे के लिए मेटाबोलिक सिंड्रोम जिम्मेदार होता है। मोटापा आने से बुढ़ापे में डायबिटीज टाइप-2, कार्डियोवस्कुलर डिसीज व ब्लडप्रेशर जैसी बीमारियां होना तो आम बात है।
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आॉस्टियोपोरोसिस
बुजुर्गो में यह बीमारी सबसे अधिक देखने को मिलती है। इस बीमारी से शरीर की हड्डियां कमजोर होने लगती है। जिससे बोन डेंसिटी कम हो जाती है। ऐसी स्तिथि में यदि किसी को फ्रैक्चर हो जाए तो हड्डी बड़ी मुश्किल से जुड़ पाती है।
चिड़चिड़ापन
बुढ़ापे में व्यक्ति के व्यवहार में चिड़चिड़ापन आ जाता है, वो बात-बात पर गुस्सा होने लगता है। महिलाओं में यह समस्या उनकी पेल्विक बोन्स की क्षमता घटने के कारण उत्पन्न होती है।