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साढ़े तीन दशक बाद मिली नई शिक्षा नीति 2020 से बदलेगा भारत देश

education साढ़े तीन दशक बाद मिली नई शिक्षा नीति 2020 से बदलेगा भारत देश

साढ़े तीन दशक बाद नई शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी मिल गई है। इससे पहले 1986 में शिक्षा नीति लागू की गई थी। 1992 में इस नीति में कुछ संशोधन किए गए थे। यानी 34 साल बाद देश में एक नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है। इसरो प्रमुख के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति ने इसका मसौदा तैयार किया था जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने बुधवार को मंजूरी दे दी है। नई शिक्षा नीति शिक्षा में अनेक प्रकार के बदलाव किए गए हैं। जो शिक्षा नीति में सुधार के लिए कारगर होंगे। नई शिक्षा नीति में स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बदलाव किए गए हैं। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी। शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए इस नीति को लाया गया है। जिसके माध्यम से शिक्षा व्यवस्था को सुधारने का काम किया जाएगा।

नई शिक्षा नीति 2020 से सुधरेगी व्यवस्था

अन्य देशों के मुकाबले हिंदुस्तान की शिक्षा व्यवस्था लचर हालत में है। जिसे अब बदलने का काम किया जा रहा है। शिक्षा व्यवस्था को लेकर भारत पहले से ही अन्य देशों से पीछे रहा है। भारत को अपनी स्थिति सुधारने के लिए नई शिक्षा नीति का लाना बहुत जरूरी था। यह नई शिक्षा नीति किस प्रकार से लागू की जाती है। यह देखना बाकी रहेगा। तकरीबन तीन दशकों से शिक्षा नीति में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया था। जिसकी वजह से शिक्षा नीति लचर पड़ गई थी। शिक्षा व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए नई शिक्षा नीति 2020 को लाया गया है। जिसमें अनेक प्रकार के बदलाव देखने को मिलेंगे।

शिक्षकों व विधार्थियों पर पड़ेगा प्रभाव

नई शिक्षा नीति 2020 का प्रभाव शिक्षकों व विद्यार्थियों पर किस प्रकार से पड़ेगा यह भी देखना होगा। आने वाले समय में देखना होगा कि शिक्षकों व विद्यार्थियों की प्रतिक्रिया इसको लेकर कैसी होगी। क्या नई शिक्षा नीति, शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में कारगर होगी या यह भी पुरानी चली आ रही शिक्षा नीति की तरह लचर हो जाएगी। बीते कई सालों में देखा गया है कि स्कूल व कॉलेजों में शिक्षकों की संख्या पूरी नहीं होती थी और अगर कहीं स्कूलों में शिक्षकों की पूर्ति है तो वहां पर व्यवस्थाओं की कमी के चलते शिक्षक विद्यार्थियों को ठीक प्रकार से शिक्षा नहीं दे पा रहे थे।

शिक्षा व्यवस्था का बदलेगा रूप

कहा जा रहा है कि अगर नई शिक्षा नीति 2020 को ठीक प्रकार से लागू किया जाता है तो यह है भारत की शिक्षा व्यवस्था का रूप बदलकर रख देगी। जिससे भारत को शिक्षा के क्षेत्र में एक नया आयाम हासिल होगा। शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए समय-समय पर प्रयास भी किए गए हैं लेकिन कभी भी शिक्षा नीति को लेकर चिंतन नहीं किया गया है जिसकी वजह से यहां की शिक्षा व्यवस्था लचर हो गई थी। नई शिक्षा व्यवस्था को लागू करने में अभी थोड़ा वक्त लग सकता है और इसके परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेंगे।

नई शिक्षा नीति 2020 की मुख्य बातें

  • नई शिक्षा नीति 2020 में पांचवी क्लास तक मातृभाषा स्थानीय क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का माध्यम रखने की बात कही गई है इसे क्लास 8 यह उससे आगे भी बढ़ाया जा सकता है विदेशी भाषाओं की पढ़ाई सेकेंडरी लेवल से होगी हालांकि नई शिक्षा नीति में यह भी कहा गया है कि किसी भी भाषा को थोपा नहीं जाएगा
  • स्कूल पाठ्यक्रम के 10 प्लस 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठ्यक्रम संरचना लागू किया जाएगा जो क्रमश: 3-8, 8-11, 11-14 और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए है इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है
  • अभी स्कूल से दूर रह रहे हैं दो करोड़ बच्चों को दोबारा मुख्यधारा में लाया जाएगा इसके लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास और नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापना की जाएगी
  • साल 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100 प्रतिशत जीआईआर (Gross Enrolment Ratio) के साथ माध्यमिक स्तर तक एजुकेशन फॉर ऑल का लक्ष्य रखा गया है
  • नई प्रणाली में प्री स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा और 3 साल की आंगनवाड़ी होगी इसके तहत छात्रों की शुरुआती स्टेज की पढ़ाई के लिए 3 साल की प्री प्राइमरी और पहली तथा दूसरी क्लास को रखा गया है अगले स्टेज में तीसरी चौथी और पांचवी क्लास को रखा गया है इसके बाद मिडिल स्कूल यानी 6-8 कक्षा में सब्जेक्ट का इंट्रोडक्शन कराया जाएगा सभी छात्र केवल तीसरी पांचवी और आठवीं कक्षा में परीक्षा देंगे 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा पहले की तरह जारी रहेंगी लेकिन बच्चों के समग्र विकास करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इन्हें नया स्वरूप दिया जाएगा पढ़ने लिखने जोड़ घटाव की बुनियादी योग्यता पर जोर दिया जाएगा

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