भारत इस साल अप्रैल और मई में आई कोरोना महामारी के उस भयानक दौर के बाद, खुद को उसके खिलाफ लड़ने के लिए तैयार कर रहा है, ताकि यह दोबारा न आए। महामारी की दूसरी लहर के दौरान इन दो महीनों में राजधानी दिल्ली समेत देश के अन्य राज्यों के कई अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म हो गई थी। देश के कई राज्यों से ऑक्सीजन की कमी की खबर सामने आई थी और उस समय की तस्वीर आज भी शरीर में सिहरन पैदा कर देती है। राजधानी दिल्ली का सर गंगा राम अस्पताल भी इन हालातों से अलग नहीं था। लेकिन अब ऐसा न हो इसके लिए इस अस्पताल में व्यापक तैयारियां की गई है। इसके तहत इस अस्पताल ने न सिर्फ आक्सीजन की स्टोरेज कैपेसिटी को 50 फीसद तक बढ़ा दिया है बल्कि करीब 1 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन के जरिए इसको सीधे ही कोविड ICU तक पहुंचाने का इंतजाम किया गया है।
इस अस्पताल के चिकित्सा निदेशक सतेंद्र कटोच का कहना है कि यहां ऐसे उपकरण भी लगाए गए हैं, जिससे ऑक्सीजन का प्रवाह कम न हो सके। इसके अलावा ऑनसाइट ऑक्सीजन प्रोडक्शन प्लांट के लिए भी ऑर्डर दे दिए गए हैं। इनमें से अधिकतर यूरोप में बने हैं जिन्हें आने में कुछ वक्त लगेगा। गौरतलब है कि कोरोना वायरस के म्यूटेंट की खबरों से पूरी दुनिया चिंतित है। डॉ अरुण प्रकाश के अनुसार, महामारी की दूसरी लहर के दौरान अस्पताल में मरीजों के लिए 600 अतिरिक्त बेड लगाए गए थे। उनका कहना है कि इस दौरान प्रतिदिन करीब 500 मरीजों को प्रवेश के लिए प्रतीक्षा सूची में डाला जा रहा था। यहां का वॉररूम उन्हीं की देखरेख में काम कर रहा था। पूरे भारत की बात करें तो इस दौरान देश के लगभग सभी अस्पतालों में अतिरिक्त बेड का प्रबंध किया गया है। इसके साथ ही ऑक्सीजन की आपूर्ति की मात्रा बढ़ाने के लिए भी कदम उठाए गए हैं। पूरे देश में ऑक्सीजन का उत्पादन करीब 50 प्रतिशत तक बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। यानी हर दिन 15000 टन ऑक्सीजन का उत्पादन होगा। लिंडे (मेडिकल गैस कंपनी) का कहना है कि वो किसी भी तरह के हालातों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
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यदि देश में ऑक्सीजन की मांग बढ़ती है तो वह विदेशों से इसकी आपूर्ति करती रहेगी। इस कंपनी के दक्षिण पूर्व प्रमुख मनोज बाजपेयी का कहना है कि दूसरी लहर के दौरान कई समस्याएं सामने आईं, इसमें उत्पादन, बुनियादी ढांचा और रसद भी सम्मिलित है। कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि जिस तरह से यह वायरस म्यूटेट कर रहा है, ऐसे बच्चों की सुरक्षा करना बेहद जरूरी है, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है।