आज पूरा देश जश्न में डूबा हुआ है। क्या बच्चे, क्या युवा, क्या बड़े, क्या महिलाएं और लड़कियां और क्या बूढ़े हर कोई जश्न में सराबोर है। क्यों न हो । आज 15 अगस्त जो है। आज हम अपनी आजादी की 75वीं सालगिरह का जश्न जो मना रहे हैं।
आज ही के दिन हमारा देश 190 साल की गुलामी के बाद आजाद हुआ था। भारत सरकार भी आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर इसे ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के रूप में मनाने जा रही है। 15 अगस्त का दिन उन वीरों की गौरव गाथा और बलिदान का प्रतीक है, जिन्होंने अंग्रेजों के दमन से देश आजाद कराने में अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।
संघर्ष और बलिदान के बाद मिली थी आजादी
साल 1947 में जब देश को आजादी मिली तो वो कुछ मिनटों, कुछ घंटों या फिर कुछ महीनों का संघर्ष नहीं था। बल्कि इसके लिए कई साल तक लड़ाई लड़ी गई थी। न जाने कितने लाखों-करोड़ों लोगों ने अपने प्राणों की आहूति दी । तब जाकर फिरंगियों के दमन से आजादी मिली। किस-किस का नाम लिया जाए और किस-किस का छोड़ा जाए। इसके अलावा अनगिनत नाम ऐसे भी हैं जिनके बारे में हमें मालूम नहीं है।
इसलिए 15 अगस्त को आजाद हुआ भारत
20 फरवरी 1947 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने भारत की आजादी की घोषणा की थी । इसकी जिम्मेदारी लॉर्ड माउंटबेटन को सौंपी गई। पहले ये तय हुआ था कि भारत को जून 1948 में आजाद किया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
आजादी के जश्न में नहीं आए थे बापू
भारत के स्वाधीनता आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था। लेकिन जब देश को 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिली, तो वे इसके जश्न में शामिल नहीं हुए थे।
नोआखली में अनशन कर रहे थे बापू
महात्मा गांधी उस दिन दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे, जहां वे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे।
16 अगस्त को नेहरू ने लाल किले से फराया था झंडा
हर स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फहराते हैं। लेकिन 15 अगस्त, 1947 को ऐसा नहीं हुआ था. लोकसभा सचिवालय के एक शोध पत्र के मुताबिक नेहरू ने 16 अगस्त, 1947 को लाल किले से झंडा फहराया था।