वॉशिंगटन: जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी भीषण गर्मी की चपेट में आ गई है। जिसके कारण पृथ्वी की रफ्तार भी दो गुनी हो गई है। नासा ने चेतावनी देते हुए कहा कि साल 2005 की तुलना में पृथ्वी भीषण गर्मी की चपेट में आ रही है। नासा ने कहा कि गर्मी में ‘अप्रत्याशित’ बढ़ोत्तरी हुई है। नासा और नैशनल ओसेनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिस्ट्रेशन ने इस बढ़ोत्तरी को ‘चिंताजनक’ करार दिया गया है।
‘ऊर्जा असंतुलन’ से मतलब है कि सूरज की ‘रेडियोएक्टिव ऊर्जा’ को पृथ्वी का वातावरण और सतह कितना अपने अंदर समाहित करता है। इसकी तुलना में ‘थर्मल इंफ्रारेड रेडिएशन’ कितना अंतरिक्ष में वापस जाता है। नासा ने बयान जारी करते हुए कहा कि ऊर्जा में असंतुलन का मतलब है कि पृथ्वी की ऊर्जा बढ़ रही है। जिसके कारण धरती गर्म होती जा रही है।
ग्रीन हाउस गैस के कारण गर्म हो रही पृथ्वी
उपग्रहों और समुदों के मिले आंकड़ों के अनुसार वैज्ञानिकों ने विश्वास जताया है कि ऊर्जा का असंतुलन बढ़ रहा है। पृथ्वी पर आने वाली ऊर्जा और यहां से निकलने वाली ऊर्जा की निगरानी की जाती है। नासा का यह निगरानी उपकरण पूरी दुनिया में है और इससे यह सटीक तरीक से पता चल जाता है कि दुनिया के समुद्र किस गति से गरम हो रहे हैं।
90 प्रतिशत ऊर्जा समुद्र में जाती है
साथ ही वैज्ञानिकों ने कहा कि धरती की 90 फीसदी ज्यादा ऊर्जा समुद्र में जाती है, इसलिए सैटलाइट सेंसर डेटा समुद्र के तापमान का सटीक आंकड़ा बताता है। नासा ने कहा कि आंकड़ों में जो बदलाव आया है, वह बहुत ही चिंताजनक है। नासा ने बयान जारी करते हुए कहा कि ग्रीन हाउस गैसों की वजह से पृथ्वी का वातावरण गरम बना हुआ है।