कहते हैं कि संस्कृत से ही संस्कारों की उत्पत्ति होती है और बिना संस्कार के व्यक्ति बेकार हो जाता है। वहीं देश से बाहर रह रहे व्यक्ति को भारतीय परंपरा और संस्कृति अपनाना थोड़ा मुश्किल होता है।
लेकिन आज के समय में भी ऐसी एक मिसाल पेश की है वृषाली और कौस्तुभ बोधंकर ने। जिन्होने सिंगापुर जैसे देश में रहकर भी अपनी संस्कृति को नहीं त्यागा और अपनी बेटी को भारतीय कला भरतनाट्यम से जोड़े रखा।
नागपुर छोड़ा, सिंगापुर गए, दिल से नहीं गई भारतीय संस्कृति
दरअसल वृषाली और कौस्तुभ बोधंकर सालों पहले नागपुर से सिंगापुर चले गए थे। लेकिन उनके दिल से भारत की संस्कृति और कला कभी नहीं गई। इसी क्रम में उन्होने अपनी बेटी वैदेही बोधंकर को भारतीय संस्कृति से जोड़ने के लिए भरतनाट्यम सिखाया।
वैदेही की कला की एक झलक:-
इसका परिणाम ये है कि देश ही नहीं दुनिया में भी वैदेही बोधंकर नाम रौशन कर रही हैं। मंच पर उनकी कला देख हर कोई मोहित हो उठता है, और भरतनाट्यम के प्रति उसकी जिज्ञासा और बढ़ जाती है।
27 जून को होगा कार्यक्रम
वहीं ‘नृत्य कलांजलि’ भरतनाट्यम अरंगेत्रम का आयोजन वृषाली और कौस्तुभ बोधंकर द्वारा अपनी बेटी वैदेही बोधंकर के लिए होने जा रहा है। रविवार, 27 जून को भारतीय समयानुसार दोपहर 3.00 बजे से कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। वहीं सिंगापुर समयानुसार शाम 5:30 बजे से कार्यक्रम शुरू होगा।
एडविन टोंग होंगे मुख्य अतिथि
इस कार्यक्रम का ग्लोबल इंडियन कल्चरल सेन्टर के मंच से लाइव प्रसारण देखने के लिए आपको ई-निमंत्रण और लिंक के जरिए जुड़ना होगा। ‘नृत्य कलांजलि’ में आप फेसबुक और यू-ट्यूब से जुड़ सकते हैं। जिसका आमंत्रण वृषाली और कौस्तुभ बोधंकर द्वारा दिया गया है।
बता दें कि इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृति मंत्री, युवा समुदाय और दूसरे कानून मंत्री, सिंगापुर एडविन टोंग होंगे।
भरतनाट्यम की जड़ें प्राचीन परंपराओं से जुड़ी
भारत में नृत्य की जड़ें प्राचीन परंपराओं से जुड़ी हैं। ये शास्त्रीय नृत्य तमिलनाडु राज्य का है। पुराने समय में मुख्यत: मंदिरों में नृत्यागनाओं द्वारा इस नृत्य को किया जाता था। पारंपरिक नृत्य को दया, पवित्रता और कोमलता के लिए जाना जाता है। ये पारंपरिक नृत्य पूरे विश्व में लोकप्रिय माना जाता है।