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नारद जयंती स्पेशलः ब्रह्मा जी का एक श्राप बन गया ‘वरदान’, जानें कैसे हुआ जन्म?

नारद जयंती स्पेशलः ब्रह्मा जी का एक श्राप बन गया ‘वरदान’, जानें, कैसे हुआ जन्म?

लखनऊः आज नारद जयंती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नारद जयंती मनाई जाती है। नारद मुनि ब्रह्माजी के मानस पुत्र हैं। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्माजी का मानस पुत्र बनने के लिए नारद मुनि ने पूर्व जन्म में कोठर तप किया था।

ब्रह्मा जी का श्राप बना ‘वरदान’

पुराणों में लिखी कथाओं के मुताबिक, नारद मुनि ने ब्रह्माजी के मानस पुत्र बनने के लिए पूर्व जन्म में कोठर तप किया था। पूर्व जन्म में नारद मुनि गंधर्व थे और उनका नाम उपबर्हण था। उनको अपने रूप में बहुत घमंड था। इनकी 60 पत्नियां थी। हमेशा सुंदर स्त्रियों के बीच ही रहा करते थे।

एक बार कुछ अप्सराएं नृत्य से भगवान ब्रह्मा की उपासना कर रही थीं। तभी वहां उपबर्हण स्त्रियों के साथ श्रृंगार भाव से पहुंच गए। जिससे अप्सराओं को ब्रह्मा जी की उपसना में कठिनाई पैदा होने लगी। ये सब देख ब्रह्मा जी को क्रोध आ गया और उन्होंने उपबर्हण को ‘शूद्र योनी’ में जन्म लेने का श्राप दे दिया।

कठोर तप के बाद बने ब्रह्मा जी के मानस पुत्र

ब्रह्मा जी के श्राप के अनुसार उपबर्हण का जन्म एक शूद्र दासी के यहां हुआ। जन्म होते ही पिता की मृत्यु हो गई। कुछ समय बाद सांप काटने से इनकी माता का भी देहांत हो गया। तब उपबर्गण की आयु 5 वर्ष थी। एक दिन चतुर्मास के समय संतजन इनके गांव में ठहरे, तब इन्होंने उनकी खूब सेवा की। उन संतों ने इन्हें भक्ति और ज्ञान का मार्ग सुझाया।

जिसके बाद बालक ने पूरा जीवन भक्ति में लगाने का संकल्प लिया। लगातार तप के बाद एक दिन आकाशवाणी हुई और कहा गया कि बालक इस जन्म में आपको भगवान के दर्शन नहीं होंगे। अगले जन्म में आप ब्रह्मा जी के मानस पुत्र के रूप में जन्म लेंगे।

नारद जयंती का महत्व

नारद जी को पत्रकारों का आराध्य कहा जाता है। इनका तीनो लोकों में आदर व सम्मान किया जाता है। देव-दानव, नर-किन्नर आदि सभी इनका सम्मान करते हैं। इस दिन इनका जप करने व व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। भक्तों को यश, बल, बुद्धि का विकास होता है।

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