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शिवसेना ने पीएम मोदी के नोटंबदी के फैसले पर उठाए कई सवाल

pm with uddhav शिवसेना ने पीएम मोदी के नोटंबदी के फैसले पर उठाए कई सवाल

मुंबई। शिव सेना ने 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने को जनता के साथ धोखा करार देते हुए सोमवार को सवाल किया कि क्या जनता अब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करेगी। शिव सेना ने सरकार के आठ नवंबर के गोपनीय मिशन की तुलना एक आर्थिक गृहयुद्ध से की, और कहा कि मोदी विमुद्रीकरण के जरिए पहले ही एक बम गिरा चुके हैं। उल्लेखनीय है कि शिव सेना केंद्र और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ राजग सरकार में शामिल है।

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सरकार ने लोगों के साथ किया धोखा:-

शिव सेना के मुखपत्र सामना और दोपहर का सामना में प्रकाशित एक संपादकीय में मोदी के उस दावे पर सवाल उठाया गया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि देश की जनता ने विमुद्रीकरण के लिए उन्हें आशीर्वाद दिया है। शिव सेना ने कहा है कि दरअसल, जिन लोगों ने उन्हें 2014 में आशीर्वाद दिया और वोट देकर सत्ता में पहुंचाया, उनके साथ यह धोखा है।संपादकीय में कहा गया है, मुट्ठीभर उद्योगपतियों से काला धन निकालने के लिए मोदी सरकार ने 125 करोड़ जनता को सड़क पर खड़ा कर दिया है। वे अपने खुद के पैसों के लिए बैंकों, एटीएम के सामने कतार लगाए हुए हैं, घंटों बगैर भोजन-पानी के अपनी बारी के लिए इंतजार कर रहे हैं, और कुछ तो इस प्रक्रिया में मर भी गए।

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फैसला सही लेकिन क्रियान्वन गलत:-

संपादकीय में कहा गया है, एक झटके में सरकार ने 125 करोड़ जनता को काला धन की बलिवेदी पर कुर्बान कर दिया। क्या सभी भ्रष्ट और काला धन रखने वाले हैं? कितने ऐसे हैं, जो कतारों में अवैध 500 और 1000 रुपये के बंडल लेकर खड़े हैं? शिव सेना ने कहा है कि वह काला धन के खिलाफ अभियान का पूर्ण समर्थन करती है, लेकिन जिस तरीके से मोदी सरकार ने इस योजना को क्रियान्वित किया है, उससे देश में आर्थिक अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है। शिव सेना ने पूछा है, सरकार कहती है कि काला धन बाहर आ जाएगा, लेकिन कैसे? देश का काला धन चंद लोगों के हाथों में है और वह विदेशी बैंकों में सुरक्षित है। उस काले धन के बारे में क्या, जो 2014 के चुनाव में खर्चा गया?

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नागरिकों और उनकी देशभक्ति का अपमान:-

शिव सेना ने इस बात पर भी नराजगी जाहिर की है कि प्रधानमंत्री जनता के धन पर लगातार विदेश यात्राएं कर रहे हैं। शिव सेना ने कहा कि उन्हें अपने पुराने नोट बदलने के लिए कतारों में खड़ी जनता की पीड़ा का भान नहीं है। संपादकीय में कहा गया है, सड़कें खाली हैं, पेट्रोल पंप सूखे पड़े हैं, बाजार वीरान हैं, मजदूरों के पास काम नहीं है। लेकिन वे असहायों, हारे लोगों को सलाम कर रहे हैं। यह नागरिकों और उनकी देशभक्ति का अपमान है। शिव सेना ने कहा है कि लोग हर रोज कतारों में खड़े हो रहे हैं, आपस में लड़-झगड़ रहे हैं, मर रहे हैं, और यह सबकुछ खुद के 2000 रुपये निकालने के लिए हो रहा है। यह डरावना, चिंताजनक और एक गृहयुद्ध जैसा है। संपादकीय में पूछा गया है,काले धन के कैंसर के खिलाफ हम आप के साथ हैं। लेकिन इस जल्दबाजी में 500 और 1000 रुपये के लिए आम जनता को सड़कों पर धकेला गया है, क्या वे इस पर भी आपको समर्थन करेंगे?

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