लखनऊ। पूरी दुनिया में आज 27 जून यानी की रविवार के दिन सूक्ष्म, लघु, एवं मध्यम उद्योग दिवस (MSME DAY) मनाया जा रहा है। कोरोना महामारी के इस दौर में आत्मनिर्भर भारत अभियान को आगे बढ़ाने में एमएसएमई का महत्व व भूमिका और बढ़ गई है, लेकिन इस सब के बावजूद मौजूदा दौर में एमएसएमई सेक्टर बदहाल है।
इस क्षेत्र से जुड़े उद्यमियों की माने तो यदि समय रहते सरकार ने राहत पैकेज की घोषणा नहीं की तो 60 फीसदी एमएसएमई इकाईयां बंद होने की कगार पर हैं।
इन्हीं सब विषयों पर भारत खबर संवाददाता वीरेंद्र पाण्डेय ने इस क्षेत्र में जुड़े उद्यमियों से बात की। जिसके बाद उद्यमियों ने बड़े ही बेबाकी से इस क्षेत्र की समस्याओं तथा उसके निदान पर अपनी राय रखते हुये कहा कि एमएसएमई को राहत पैकेज रूपी ऑक्सीजन की जरूरत है।
सरकार की पॉलिसी का फायदा नहीं मिलता: चेतन भल्ला
आईआईए के नेशनल सेक्रेटरी चेतना भल्ला की माने तो एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए सभी सरकारें अपनी-अपनी पॉलिसी लेकर आती हैं,उसका खूब प्रचार-प्रसार भी करती हैं,लेकिन उसका फायदा एमएसएमई सेक्टर की इकाईयों को नहीं मिलता है। उस पॉलिसी में नियम इस तरह होते हैं, जो व्यवहारिक नहीं कहे जा सकते।
उन्होंने बताया कि सरकार की मंशा है कि निवेश आये,लोगों को रोजगार मिले तथा राजस्व बढ़े। यह तभी संभव है जब एमएसएमई के लिए बनायी गयी पॉलिसी व्यवहारिक होगी।
छ: महीने में कच्चा माल, पैकेजिंग मैटेरियल हुआ मंहगा : महेश अग्रवाल
मुरादाबाद के उद्यमी महेश अग्रवाल आईआईए के नेशनल सेक्रेटरी हैं,वह बताते हैं कि मुरादाबाद एक एक्सपोर्ट सिटी है,यहां से हर साल करीब सात हजार करोंड़ का तैयार माल एक्सपोर्ट होता है।
उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से पहले बाहर माल भेजने पर एक लाइसेंस मिलता था,जिसमें सात प्रतिशत की छुट मिल जाती थी,लेकिन यह सुविधा बीते दो साल से बंद कर दी गयी। इतना ही नहीं कच्चे माल व पैकेजिंग मैटेरियल बीते छ: महीने में साठ से सत्तर फीसदी मंहगा हो गया। जिसका सीधा असर हमारे उद्यम पर पड़ा है।
उन्होंने बताया कि बीते छ: महीने में दाम बढ़ने से साठ फीसदी एमएसएमई इकाईयां बंद होने की कगार पर हैं।
उन्होंने बताया कि पैकेजिंग मैटेरियल की बात करें तो प्लास्टिक की थैलियां जो 86 रूपये प्रति किलोग्राम आती थीं,उनका दाम बढ़कर 135 रूपये प्रतिकिलोग्राम हो गया है।
स्टील की सीआरसी सीट जो दिसम्बर में 60 रूपये किलो मिल रही थी,वह आज के समय में 92 रूपये प्रतिकिलो मिल रही है।
मूंगफली ऑयल दिसम्बर में 100 रूपये लीटर मिल रहा था,वह आज के समय में 170 रूपये लीटर मिल रहा है।
नुकसान बहुत पर राहत नहीं: अमर मित्तल
आईआईए के नेशनल सेक्रेटरी अमर मित्तल बताते हैं कि कोरोना काल में जिस हिसाब से नुकसान हुआ है,उस तरह राहत नहीं दी गयी है। बाजार में माल की डिमांड नहीं है। जल्द ही राहत की जूरूरत है,क्योंकि बहुत से उद्यमी का वर्किंग कैपिटल आखिरी स्टेज पर है।
नियम तो बने पर फायदा नहीं मिला: ममता शुक्ला
कानपुर की उद्यमी व आईआईए की नेशनल सेक्रेटरी ममता शुक्ला के मुताबिक एमएसएमई ही वह सेक्टर है,जिससे सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है। सरकार ने नियम बनाये इस सेक्टर को मजबूत करने के लिए,लेकिन उसका फायदा नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि मई से बाजार में पैसा फंसा है,आगे कैसे काम होगा,इसकी जानकारी नहीं है। एक राहत यदि जीएसटी मे मिल जाये,जैसे कि जब बाजार से पैसा मिले तब जीएसटी देना रहे,तो बेहतर रहेगा। इस पर सरकार को जल्द सोचना चाहिए।
सप्लाई चेन टूटने से समस्या: रजनीश सेठी
लखनऊ के उद्यमी व आईआईए के नेशनल सेक्रेटरी रजनीश सेठी बताते हैं कि एमएसएमई की जो मेजर समस्या कोरोना काल में है,वह लिक्विडिटी, लिक्विडिटी और लिक्विडिटी। वह कहते हैं कि जब सप्लाई चेन टूट जाती है, सप्लाई चेन चाहे कच्चे माल को लेकर हो या फिर तैयार माल को लेकर,तो उद्यम करने वाले के सीधे कैपिटल पर असर पड़ता है। ऐसे में भारत सरकार को एक पैकेज लाना चाहिए,जिससे उद्यमी के उद्यम को ऑक्सीजन मिल सके।
यह जानना है जरूरी
भारत में सूक्ष्म,लघु व मध्यम उद्योग ने बेहद अहम भूमिका निभाई है। देश के अन्दर मौजूदा समय में छ: करोड़ से ज्यादा एमएसएमई सक्रिय है। यह सेक्टर ना सिर्फ देश की जीडीपी में बड़ा योगदान कर रहा है, बल्कि एक बड़ी आबादी के लिये रोज़गार के अवसर मुहैया कराने में सहयोग दे रहा है।