मध्यप्रदेश में नई शराब पॉलिसी के विरोध में ठेकेदारों ने हड़ताल शुरू कर दी है। शुक्रवार को भोपाल में अधिकांश शराब की दुकानों पर ताला जड़ा दिखाई दिया। इसके साथ ही इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर समेत 17 जिलों में ठेकेदार नई शराब पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं।
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मध्यप्रदेश में नई शराब पॉलिसी के विरोध में ठेकेदारों ने हड़ताल शुरू कर दी है। शुक्रवार को भोपाल में अधिकांश शराब की दुकानों पर ताला जड़ा दिखाई दिया। इसके साथ ही इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर समेत 17 जिलों में ठेकेदार नई शराब पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं। राजधानी भोपाल में कुछ दुकानें खुली हुई भी हैं। जहां पर विभाग का अमला चेकिंग में लगा है। इससे शराब बिक्री नहीं हो रही है। वहीं यहां ठेकेदार आबकारी मंत्री के बंगले पर भी पहुंचे।
‘पॉलिसी में 3 ऐसे बिंदुओं जो ठेकेदारों की कमर तोड़ रहे हैं’
ठेकेदारों का कहना है कि पॉलिसी में 3 ऐसे बिंदु हैं, जो ठेकेदारों की कमर तोड़ रहे हैं। देशी-अंग्रेजी शराब दुकानें एक ही जगह खोलने, मार्जिंन कम होने और माल उठाने की पाबंदियां तय करना प्रमुख हैं। वहीं, रूटीन चेकअप के बहाने अफसर दुकानें सील भी कर रहे हैं। प्रदेश के 17 जिलों में सिंगल की जगह ग्रुप में दुकानों के टेंडर किए जा रहे हैं। वर्ष 2000-21 और 2021-22 में यह सिंगल ठेके की व्यवस्था थी। यानी एक ही ठेकेदार जिले की दुकानों का संचालन करते थे। वर्ष 2022-23 के लिए यहां पर 3-3 दुकानों के ग्रुप बना दिए गए हैं। यानी, ठेकेदार ग्रुप में दुकान चलाएंगे।
भोपाल में 90 में से सिर्फ 32 दुकानों की नीलामी
बता दें कि भोपाल में शराब की 90 दुकानें हैं। 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक की अवधि के लिए ई-टेंडर की प्रोसेस 11 फरवरी को हुई थी। हालांकि, 32 दुकानों के ही ठेके हुए थे। ठेकेदारों का कहना है कि विभाग ने इस बार 25% रिजर्व प्राइस बढ़ा दिया। यह घाटे का सौदा है। वहीं, देशी और अंग्रेजी शराब एक ही दुकानों पर बेचने की शर्त भी है। इस कारण कारोबार पर असर पड़ेगा। भोपाल में 90 में से सिर्फ 32 दुकानें ही नीलाम हो सकी है।