कोरोना के कहर के बीच एक नया कहर कहे जाने वाला उल्का पिंड आज पृथ्वी के नजदीक से बिना तबाही मचाए निकल गया। उल्का पिंड को लेकर लंबे समय से आशंका जताई जा रही थी कि, अगर ये पृथ्वी से टकरा गया तो पृथ्वी एक झटके में खत्म हो जाएगी। लेकिन आज ऐसा हुआ नहीं..और लोगों के मन में अब सवाल उठ रहे हैं कि,जिस उल्का पिंड को लेकर लंबे चौड़े दावे किए जा रहे थे। वो अचानक से कहां गायब हो गया? चलिए आपको बताते हैं एवरेस्ट से भी बढ़ा उल्का पिंड का क्या हुआ?
भारतीय समयानुसार 3 बजकर 26 मिनट पर यह उल्कापिंड गुजरा और इससे पृथ्वी के किसी हिस्से को कोई नुकसान नहीं हुआ। दक्षिण अफ्रीका की ऑब्जर्वेटरी की ओर से इस खगोलीय घटना की पुष्टि भी की गई है। ऑब्जर्वेटरी की ओर से किए गए ट्वीट में बताया गया है कि यह विनाशकारी उल्कापिंडों में से एक है।
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अब इस तरह का अगला संयोग 2079 में होगा। प्यूर्टो रिको के ऑब्जर्वेटरी में 8 अप्रैल से इस उल्कापिंड की मॉनिटरिंग की जा रही है, इसके अनुसार इसकी रफ्तार 19,461 मील प्रति घंटे की थी।
चपटी कक्षा वाले इस उल्कापिंड की खोज 1998 में हो गई थी। तभी से इस पर शोध जारी है। तभी से वैज्ञानिक इस पिंड पर रिसर्च कर रहे हैं और आज ये बिना नुकसान पहुंचाएं पृथ्वी से गुजर गया। उल्का पिंड को लेकर नई भविष्यवाणी ये की जा रही है कि, अब उल्का पिंड 1979 में पृथ्वी के पास से गुजरेगा। फिलहाल के लिए उल्का नाम का खतरा खत्म हो चुका है। वैसे वैज्ञानिकों के द्वारा पहले ही बता दिया गया था कि, उल्का से पृथ्वी से टकराने के कम ही चान्स हैं।