नई दिल्ली। सहारनपुर की जातीय हिंसा को लेकर अब पुलिस हर एंगिल को तलाश रही है। इसको लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती के ऊपर भी सवालिया निशान लग सकता है। माना जा रहा है कि भीम आर्मी को बसपा का समर्थन है। इसी बात को लेकर बीजेपी औऱ बसपा आसने-सामने आ गये हैं। योगी सरकार के मंत्री श्रीकांत शर्मा ने सहारनपुर में भड़की आग का जिम्मेदार मायावती को बता कर सीधा हमला बोला था। जिसके बाद अब मायावती भी कड़े तेवर के साथ मैदान में आ चुकी हैं।
माया ने दी इस मामले में सफाई
बसपा सुप्रीमों मायावती ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा है कि भीम आर्मी बीजेपी का प्रॉडक्ट है। इस संगठन से हमारा या हमारे भाई आनंद कुमार और पार्टी के वरिष्ठ लोगों का कोई संबध नहीं है। हमारी पार्टी सभी आरोपों को खारिज करती है। इसके साथ ही उन्होने उन्होने कहा कि सहारनपुर में हुई हिंसा की वारदात योगी सरकार की विफलता साबित कर रही है। आखिर इतने लम्बे वक्त के बीतने के बाद भी पुलिस प्रशासन दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पा रहा है।
खुफिया रिपोर्टों में बसपा का जिक्र
सूत्रों की माने तो भीम आर्मी के की प्रथम जांच में दी गई रिपोर्टों से साफ जाहिर है कि बसपा और भीम आर्मी को लगातार समर्थन दे रही है। इसके साथ ही बसपा सुप्रीमों के भाई आनंद कुमार पर भी शक है कि वे इस संगठन के लिए लगातार धन उपलब्ध कराते रहे हैं। हांलाकि जांच में इस संगठन का चीफ चंद्रशेखर को बताया गया है। लेकिन जिस तरह से भीम आर्मी ने इस पूरे पु्रकरण पर सहारनपुर में हिंसा की आग लगाई है जिसके चलते यह संगठन पूरे प्रदेश के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है।
भीम आर्मी के एकाउंट की डिटेल भी खंगाल रही है पुलिस
सूत्रों की माने तो पुलिस इस पूरे प्रकरण पर भीम आर्मी की संदिग्ध भूमिका को लेकर सारे रास्तों को अपना रही है। सूत्रों के जरिए खबरें आ रही है कि हाल ही में भीम आर्मी के खाते में तकरीबन 50 लाख रूपये भेजे गये हैं। पुलिस अब इस पैसों के श्रोतों का पता लगाने में जुटी हुई है। आखिर इतनी बड़ी रकम कैसे और किस लिए किसके द्वारा भेजी गई है। बीते 4 हफ्तों में जिस तरह से सुनवियोजित तरीके से ये प्रकरण आग पकड़ चुका है। अब इस प्रकरण के पीछे के खेल का पता लगाने में खुफिया तंत्र जुट गया है।
ऑनलाइन पोस्टों और सोशल मीडिया पर लगा प्रतिबंध
लगातार इस प्रकरण को लेकर सोशल मीडिया पर हो रही पोस्ट को लेकर भी प्रशासन काफी सजग हो गया है। भड़काऊ पोस्ट करने वालों पर प्रशासन नजर रखे हुए है। इसके साथ ही ऑनलाइन फंडिंग करने के लिए सोशल साइट पर हो रहे प्रचार को रोकने के लिए प्रशासन ने जिले में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही स्थानीय नेताओं और क्षेत्रीय लोगों से बातचीत कर शांति बहाली के प्रयास भी कर रहा है।