नई दिल्ली। बाल यौन हिंसा के आरोपियों को अब सीधे मौत की सजा होगी, यह निर्णय केन्द्रीय कैबिनेट ने बुधवार को पॉक्सो कानून में संशोधनों के साथ लिया। सरकार ने कहा कि इन संशोधनों से बाल यौन उत्पीड़न पर अंकुश लगने की उम्मीद है क्योंकि कानून में शामिल किए गए मजबूत दंडात्मक प्रावधान निवारक का काम करेंगे।
‘इसकी मंशा परेशानी में फंसे असुरक्षित बच्चों के हितों का संरक्षण करना तथा उनकी सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने की है। संशोधन का उद्देश्य बाल उत्पीड़न के पहलुओं तथा इसकी सजा के संबंध में स्पष्टता लेकर आने का है।’ – सरकार
बताया जा रहा है कि बाल अपराध कानून की ओर यह बदलाव एक उदाहरण बनकर उभरा है और आने वाले वक्त में बाल अपराधों पर लगाम कसने में पूरी मदद मिल सकेगी। सरकार ने ये घोषणा कर दी है कि बच्चों के प्रति बढ़ रहे यौन अपराध में इस तरह की सजा का प्रावधान लागू होने से ऐसे अपराध में काबू पाया जा सकेगा। मृत्युदंड की सजा के अलावा चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों के लिए जुर्माना और जेल की सजा का प्रावधान किया गया है।
इस कड़ी में पॉक्सो एक्ट की धारा 2, धारा 4, धारा 5, धारा 6, धारा 9, धारा 14, धारा 15, धारा 34, धारा 42, और धारा 45 में भी संशोधन किया गया है। इसके अलावा धारा 4, धारा 5, धारा 6 में कुछ ऐसे बदलाव किए गए हैं जिसमें इस तरह के अपराधों पर तत्काल और मृत्युदंड जैसी कड़ी सजा दी जाएगी।
रसायनिक पदार्थ देकर यौन अपराध किया तो कठोर सजा
प्राकृतिक आपदाओं के समय बच्चों को रसायनिक पदार्थ खिलाकर उनके साथ होने वाले यौन अपराधों को रोकने के लिए भी पॉक्सो एक्ट की धारा 9 में बड़े बदलाव किए गए हैं। सरकार ने कहा कि ऐसे स्थिति में रह रहे बच्चों को केमिकल पदार्थ देकर उनके साथ यौन अपराध को अंजाम दिया जाता है।