उज्जैन में कार्तिक मास में प्रजा का हाल जानने राजाधिराज महाकालेश्वर की पहली सवारी सोमवार को निकली. भगवान महाकाल राजसी ठाठ बाट के साथ नगर भ्रमण पर निकले थे. उज्जैन में सावन माह की तरह कार्तिक और अगहन में भी बाबा महाकाल की सवारी निकालने की परंपरा है. कार्तिक माह की पहली सवारी पर भी कोरोना का ग्रहण दिखा है. बाबा की सवारी में केवल पालकी थी.
सवारी में आगे-आगे घुड़सवार, पुलिस बैंड और पुजारियों के झांझ-मंझीरा दल थे. राजाधिराज के दर्शन पाकर भक्त निहाल हो गए. बाबा चंद्रमौलेश्वर रूप में थे. उनके सवारी मार्ग को भक्तों ने फूलों से पाट दिया.
बताते चलें कि भगवान महाकालेश्वर की श्रावण-भादों और कार्तिक-अगहन मास प्रजा का हाल जानने गर्भगृह से निकलते हैं. सावन मास में भी राजाधिराज की सवारी निकाली जाती है. इसके अलावा दशहरा और बैकुंठ चतुर्दशी पर भी महाकालेश्वर की सवारी निकलती है. सोमवार को सवारी निकलने से पहले मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक नरेंद्र सूर्यवंशी ने भगवान के चंद्रमौलेश्वर के रूप में बाबा महाकाल की पूजा की. सवारी पारंपरिक मार्ग से होते हुए रामघाट पहुंची. जहां पूजन के बाद कार्तिक चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होकर महाकाल मंदिर लौटी.
कोरोना का असर
यहां इस साल कोरोना के कारण श्रद्धालु काफी कम दिखाई दिए हैं. शाम को पूजन के बाद राजा महाकाल को चांदी की पालकी में बैठाकर मंदिर से बाहर लाया गया. कोरोना के कारण यहां सवारी में बैंड, भजन मंडली के प्रवेश पर प्रतिबंध रहा है. फिर भी श्रद्धालु महाकाल की एक झलक के लिए बेताब नजर आए हैं.
कब निकलेगी अगली सवारी?
कार्तिक मास की अगली सवारी 23 नवंबर को निकाली जाएगी. इसके बाद 28 नवंबर को रात 11 बजे वैकुंठ चतुर्दशी की सवारी निकलेगी. इसी दिन गोपाल मंदिर हरिहर मिलन होगा.