लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए 55 प्राइवेट अस्पतालों की सूची जिला प्रशासन ने सार्वजनिक की है। मगर, परेशानी तो यह है कि इसमें से आधे से ज्यादा नंबर गलत हैं।
दरअसल, सोशल मीडियो पर दो ऑडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें इन अस्पतालों में मरीज को भर्ती करने के लिए एक परिजन और डीएम कार्यालय के कर्मी के बीच बातचीत हो रही है।
मेदांता अस्पताल का नंबर इनवैलिड
वायरल ऑडियो में एक शख्स कहता सुनाई दे रहा है कि उसने प्रशासन द्वारा अस्पतालों के नंबर्स पर कॉल किया, जिनमें अधिकतर बंद हैं। वहीं, मेदांता हॉस्पिटल का तो नंबर को इनवैलिड बता रहा है।
ऑडियो में वह शख्स नाराज होते हुए कहता है कि वह इस लिस्ट को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए ट्वीट करेगा और उनसे इस लिस्ट के बारे में जवाब मांगेगा। इस पर डीएम ऑफिस की ओर से उसे नोडल अधिकारी के नंबर देने की बात कहता है। फिर वह शख्स चरक के नोडल अधिकारी का नंबर लेता है और फोन कट कर देता है।
चरक नोडल अधिकारी पर फोन न उठाने का आरोप
इसके बाद दूसरे वायरल ऑडियो में फिर वही शख्स जिलाधिकारी के कार्यालय में फोन करता है और नोडल अधिकारी का नंबर न उठने की बात करता है। शख्स आरोप लगाते हुए कहता है कि उसने कई बार चरक नोडल अधिकारी को फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
इसके बाद शख्स नाराज होता हुए कहता है कि प्रशासन इतनी बड़ी लापरवाही कैसे कर सकता है कि अस्पतालों को डिजास्टर एक्ट के तहत अधिकृत करते हुए नंबर बिना वैरिफाइड किए हुए कैसे जारी कर सकते हैं। क्या अब वह अपना पेशेंट सीधा भैसाकुंड लेकर जाए, इस पर डीएम ऑफिस कर्मी का जवाब आता है कि वह क्या कर सकते हैं, उन्हें यही नंबर दिए गए हैं बताने के लिए।
पीएम और सीएम से शिकायत करने की बात
फिर शख्स कहता है कि वह इसके लिए उन्हें नहीं बल्कि प्रशासन को जिम्मेदार मानता है। इतनी बड़ी आपदा के समय प्रशासन ऐसी लापरवाही कैसे कर सकता है। वह शिकायत पीएम और सीएम से करेगा और साथ ही ऑडियो रिकॉर्डिंग भी वायरल करेगा। इसके बाद फोन काट देता है।
ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि जब कोरोना महामारी को कहर राजधानी के लिए काल बनता जा रहा है, ऐसे में जिला प्रशासन अस्पतालों के नंबर बिना वैरिफाइड किए कैसे जारी कर सकता है। उससे भी बड़ी बात की जिन नोडल अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है, वो फोन नहीं उठा रहे। ऐसे में अस्पतालों की लिस्ट जारी करने और नोडल अधिकारी तैनात करने से क्या शहरवासियों को परेशानियों का हल निकलेगा।