उत्तराखंड में शराब के कारोबार में पारदर्शी व्यवस्था बनाने की तैयारी चल रही हैं। इसी के चलते पूरे विभाग को ऑनलाइन किया जा रहा हैं। इसके बाद शराब की आपूर्ति पर ऑनलाइन माध्यम से नजर रखी जाएगी। इसके साथ ही शराब का लाइसेंस भी ऑनलाइन बनाया जाएगा। लाइसेंसी दुकानों में अवैध शराब न रखी जाए इसके लिए हर बोतल पर क्यूआर कोड के साथ ही इसमें होलोग्राम भी लगाया जाएगा। अवैध शराब पर छापेमारी के फोटो भी ऑनलाइन ही अपलोड किए जाएंगे। इसके लिए एनआइसी के सहयोग से सॉफ्टवेयर भी तैयार किया जा रहा हैं।
सबसे अधिक राजस्व देता है आबकारी
प्रदेश में आबकारी सबसे अधिक राजस्व देने वाले महकमों में शामिल हैं। आबकारी का इस वर्ष का राजस्व लक्ष्य 3200 करोड़ रुपये का हैं। सरकार को राजस्व देने के साथ ही सबसे विवादित महकमा भी यही रहता है। यहां लाइसेंस देने से लेकर शराब की आपूर्ति तक में हेरा-फेरी के आरोप लगते रहे हैं। इसके लिए नीतियों में हर बार बदलाव किया गया हैं।
विभाग को किया जा रहा ऑनलाइन
लंबे समय से विभाग में पारदर्शी लाने की मांग भी की जा रही हैं। इसी को लेकर अब पूरे महकमे के कार्यों को ऑनलाइन किया जा रहा हैं। ऑफिस के सारे कार्य ऑनलाइन माद्यम से निपटाए जाएंगे। वहीं, फील्ड की व्यवस्था को भी सीधे ऑफिस के कंप्यूटर से जोड़ा जाएगा। इसके लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है।
सॉफ्टवेयर को कंप्यूटरों में किया जाएगा इंस्टॉल
बता दें कि तैयार होने पर इस सॉफ्टवेयर को विभाग के सभी कंप्यूटरों में इंस्टॉल किया जाएगा। इसके बाद इसे मुख्य सर्वर से जोड़ा जाएगा। ताकि सारी व्यवस्था कहीं से भी एक क्लिक के माध्यम से देखी जा सके। वहीं प्रभारी आबकारी सचिव सुशील कुमार का कहना है कि आबकारी विभाग की पूरी व्यवस्था को ऑनलाइन करने की तैयारी चल रही हैं। इससे विभागीय कार्यों में पारदर्शिता आएगी। एनआइसी को सॉफ्टवेयर बनाने की जिम्मेदारी दी गयी हैं।
ऑनलाइन जारी होंगे लाइसेंस
शराब के लाइसेंस ऑनलाइन जारी जिए जाएंगे। लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन और फीस जमा की सुविधा दी जाएगी। जिसके बाद आवेदक को एक नंबर जारी किया जाएगा। इस नंबर के आधार पर आवेदन की फाइल को ऑनलाइन ही ट्रेक किया जा सकेगा। इससे यह भी पता चल सकेगा कि कौन सी फाइल कहां रुकी हुई हैं। लाइसेंस में संबंधित अधिकारी के डिजीटल हस्ताक्षर होंगे। यानी एक बार आवेदन करने के बाद लाइसेंस भी ऑनलाइन ही प्राप्त किए जा सकेंगे।
जीपीएस लगे वाहनों से होगी आपूर्ति
शराब की आपूर्ति में लगे वाहनों में जीपीएस भी लगाया जाएगा। इन्हीं वाहनों से ही शराब के साथ ही स्पिरिट और इथेनॉल की सप्लाई की जाएगी। जीपीएस से वाहनों के रास्ता बदलने व कहीं भी रुकने के संबंध में पूरी जानकारी विभाग के पास रहेगी। गोदाम से लेकर दुकानों तक शराब पहुंचने के काम पर सीधे विभाग की नजर बनी रहेगी।
बोतलों में लगेंगे क्यूआर कोड
गोदाम से शराब की बोतलों की निकासी से पहले हर बोतल पर एक क्यूआर कोड और होलोग्राम लगाया जाएगा। यह क्यूआर कोड कंप्यूटर पर दर्ज होगा। शराब की दुकानों में जांच के दौरान इस कोड को स्कैन किया जाएगा। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि जो शराब की बोतल एक दुकान के लिए आवंटित की गई है कहीं उसे दूसरे दुकानों के जरिये बेचने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा। होलोग्राम से यह पता चलेगा कि यह शराब उत्तराखंड में ही बिक्री के लिए हैं। होलोग्राम में डुप्लीकेसी से बचने के लिए इस बार इन्हें नासिक की प्रिंटिंग प्रेस में छपवाया जा रहा हैं।