वाराणसी: काशी नगरी अपनी धार्मिक पवित्रता और आस्था के लिए जानी जाती है। यहां चैत्र नवरात्रि की पंचमी से लेकर सप्तमी तक एक विशेष आयोजन होता है, जिसमें बाबा महा शमशान नाथ जी का श्रृंगार किया जाता है।
3 दिन होता है कार्यक्रम
काशी में आपको आयोजन ढूंढने नहीं पड़ते, यहां हर दिन कुछ ना कुछ होता रहता है। ऐसा ही नजारा चैत्र नवरात्रि के दौरान देखने को मिलता है। जब बाबा महा शमशान नाथ का त्रिदिवसीय श्रृंगार महोत्सव आयोजित होता है, इस बार भी यह कार्यक्रम हुआ। जिसका समापन सोमवार को धूमधाम से किया गया।
बाबा को मनाने के लिए शक्ति ने धरा योगिनी का रूप
ऐसी मान्यता है कि बाबा महा शमशान नाथ को मनाने के लिए शक्ति ने योगिनी का रूप धरा था। इसी आस्था और विश्वास को आज तक लोग आगे लेकर चल रहे हैं। बाबा का पूरा प्रांगण कई तरह के फूल और सुगंधित पदार्थों से भरा होता है, उनकी आरती करके गायन और नृत्य का कार्यक्रम भी होता है। इस दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु यहां उपस्थित होते हैं।
ऐसा भी कहा जाता है कि जब राजा मानसिंह ने बाबा के मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था, उस समय मंदिर में संगीत का कार्यक्रम करने के लिए कोई कलाकार आने के लिए तैयार नहीं था। लेकिन काफी जतन करने के बाद काशी की नगरवधूओं ने आने की इच्छा जताई। इसके बाद मंदिर का पूरा कार्यक्रम सही तरीके से संपन्न हो सका। आज भी इसी परंपरा को उसी तरीके से मनाया जाता है, बिना किसी आमंत्रण के आज भी नगरवधूयें चैत्र नवरात्रि के दौरान यहां आती हैं।
जलती चिताओं के बने मंच पर जागरण
बाबा महा शमशान नाथ का जागरण रात्रि तक चलता है, जो जलती चिताओं के बने मंच पर होता है। कई तरह के भजन कार्यक्रम और ढोल-डमरु यहां बजाए जाते हैं। इस दौरान वाराणसी की संस्कृति और सभ्यता के भी दर्शन होते हैं। यह एक ऐसा अवसर होता है, जब पुरातन से चली आ रही मान्यता को देखने का मौका श्रद्धालुओं को मिलता है।