दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन की चर्चा अब सभी हिंदी भाषी क्षेत्रों में होने लगी है। इसलिए अब इसके समर्थन में नेता भी रैलियों का आयोजन करने लगे है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को हरियाणा के जींद जिले पंहुचे, जहां उन्होंने किसानो को संबोधित किया इस दौरान केन्द्र की बीजेपी सरकार पर उन्होंने जम कर निशाना साधा। केजरीवाल ने कहा जो किसानो के समर्थन में है वो देशभक्त है और जो किसान आंदोलन के साथ नहीं है वो देशभक्त नहीं है।
रैली में जीएनसीटीडी कानून की चर्चा
उन्होंने रैली में जीएनसीटीडी कानून की भी चर्चा की। रैली को संबोधित करते हुए कहा केंद्र की बीजेपी सरकार पूरी तरह से उनके खिलाफ है, जिसकी वजह से वो ये बिल लेकर आए है ताकि वे मेरे मुख्यमंत्री के तौर पर जो शक्तियां है उसे छीन सके।
बिल पास कर सारी शक्तियां राज्यपाल को देना चाहती है सरकार
उन्होंने कहा लोकतंत्र पर इससे बड़ा कोई हमला हो ही नहीं सकता, क्योंकि जनता ने अपने मताधिकार का उपयोग कर उन्हें चुना है। ये बिल पास कर वो सारी शक्तियां उप-राज्यपाल के हाथों में दे देना चाहते है, हम इसके लिए लड़ेंगे। उन्होंने कहा केंद्र सरकार ने उनके पास फाइल भेजी थी, लेकिन उन्होंने उसे रिजेक्ट कर दिया। और अब मुझ पर दबाव बनाया जा रहा है, वो मुझे कानून व्यवस्था का हवाला दे रहे है।
केजरीवाल ने किसानों की मौत पर जतााया दुख
अरविंद केजरीवाल ने किसान आंदोलन के दौरान हुई 300 की मौत पर दुख जताया और कहा- हम किसानों को सलाम करते हैं उन्होंन कहा हम उनकी कुर्बानी को व्यर्थ नहीं जाने देंगे।
दिल्ली सीएम ने कहा कल रोहतक में किसानों पर लाठीचार्ज बहुत ही निंदनीय घटना है. सरकार को किसानों का साथ देना चाहिए या उनपर लाठी चार्च कराना चाहिए. उन्होंने कहा अब लोग घर वापसी कर रहे है इसलिए आपसे मिलने आ गया बहुत किसान अभी जाम में भी फसे है. उन्होंने कहा इस आंदोलन में पंजाब के किसानों का बड़ा योगदान है इसलिए मै उनका धन्यवाद कर आया हूं और अब हरियाणा आया हूं
केंद्र पर लगाया किसानों को परेशान करने का आरोप
उन्होंने कहा- “सारे देश के किसान आपके साथ हैं. पहले दिन से ही दिल्ली सरकार किसानों का साथ दे रही है. जब किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर कूच किया तो हरियाणा सरकार ने आंसू गैस के गोले छोड़े, लाठी चार्ज किए, और उनका रास्ता रोक कर उन्हें परेशान किया गया लेकिन हमारे किसानों के हौसलो को पस्त नहीं कर पाये.
नए कृषि कानूनों से सुधरेगी किसानों की आर्थिक स्थिति
गौरतलब है कि पिछले करीब चार महीने से किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं के आसपास विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. अब तक केन्द्र सरकार और किसानों के प्रतिनिधि के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन कोई परिणाम सामने नहीं निकल पाया. किसानों की मांग है कि सरकार नए कृषि कानूनों को वापस ले और एमएसपी को कानून का हिस्सा बनाये.
पिछले साल संसद से पास कराए गए तीन कृषि कानूनों के समर्थन में सरकार का कहना है कि इन कानूनों से कृषि के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा और किसानों को अपनी फसल पर ज्यादा मुनाफा मिलेगा कृषि क्षेत्र में निवेश के नए अवसर खुलेंगे तो उससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी