जम्मू -कश्मीर की खूबसूरती हर किसी को आकर्षित करती है। यही कारण है कि, देश के इस हिस्से की तुलना जन्नत से की जाती है।
पुलित्जर पुरस्कार विजेयता-जम्मू-कश्मीर
इस बीच जम्मू-कश्मीर से एक ऐसी राहत भरी खबर आयी है। जिसने सबका दिल खुश कर दिया है लेकिन इस बीच कुछ ऐसे सवाल भी खड़े कर दिये हैं जिसकी सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है।
आपको बता दें घाटी के तीन फोटो जर्नलिस्टों को पत्रकारिता जगत के सबसे बड़े पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया है।
सम्मान पाने वाले पत्रकारों का नाम, मुख्तार खान, यासीन डार और चन्नी आनंद है।
ये पुरस्कार धारा 370 हटाए जाने के बाद क्षेत्र में जारी बंद के दौरान सराहनीय काम करने के लिए ‘फीचर फोटोग्राफी’ श्रेणी में दिया गया है। घारा 370 हटने के बाद तीनों पत्रकारों ने जिस तरह से यहां के हालात अपनी तस्वीरों के जरिए बयां किए। उन्हें देखते हुए इन पत्रकारों अंतराष्ट्रीय स्तर का सम्मान मिला है।
चलिए पहले आपको उन फोटोस को दिखाते हैं जिन्हें पत्रकारिता जगत का सबसे बड़ा सम्मान मिला है।
इन तस्वीरों में धारा 370 हटने के बाद किस तरह से लोगों की जिंदगी में बदलाव आया साफ देखा जा सकता है। जिन्हें देखकर आपका मन भी विचलित हो सकता।
जैसे ही इन तस्वीरों को पुलित्जर पुरस्कार मिला वैसे ही ट्विटर पर एक अलग तरह की बहस छिड़ गई। दरअसर यान मिर नाम के एक शख्स ने धारा 370 हटने के बाद की कुछ दिल खुश करने वालीं तस्वीरें शेयर की हैं।
इन तस्वीरों में आपको लोगों के हंसते-मुस्कुराते हुए चेहरे साफ देखे जा सकते हैं। इन चार तस्वीरों मे जिस तरह से सेना और जनता के बीच की खुशी जाहिए हो रही है उसे देखकर हालात सकारात्मक लग रहे हैं और सामान्य भी।
लेकिन जैसे ही आप पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित इन तस्वीरों को देखते हैं आपके अंदर सकारात्मक और नकारात्मक भावना एक साथ आ जाएगी।
इसलिए एक ही वक्त में खिंची हुई तस्वीरों पर बहस छिड़ गई है कि, जब पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित तस्वीरों से भी बेहतर तस्वीरें थी तो इन तस्वीरों को क्यों चुना गया।
आप भी इन दोनों तस्वीरों के देखें और खुद के दिल से पूछें दोनों तस्वीरों में से कौन सी तस्वीरें बेहतरह है। अपनी राय हमारे कमेंट बॉक्स में जाकर जरूर दें। क्योंकि सोशल मीडिया में पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित तस्वीरों को लेकर विवाद हो रहा है।
इसलिए भारत खबर आपके सामने दोनों तरह की तस्वीरें रखकर फैसला आपके हाथ में छोड़ता है।