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इमरान ने संविधान का घोंट दिया गला !, PAKISTAN में पिक्चर अभी बाकी है, क्या स्पीकर के फैसले को अभी भी पलटा जा सकता है?

संयुक्त राष्ट्र

पाकिस्तान की सियासी हलचल पर आज दुनिया की नजर है। पाकिस्तान में पहली बार हुआ जब नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पेश हुआ लेकिन इस पर वोटिंग नहीं हुई।

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रविवार को सदन की कार्यवाही का संचालन कर रहे डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव को ‘असंवैधानिक’ बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि ये अविश्वास प्रस्ताव ‘विदेशी साजिश’ है।

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विपक्षी दलों ने लगाई गुहार

डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने इसके लिए पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद-5 का हवाला दिया। इस संविधान के तहत पाकिस्तान के हर नागरिक का देश के प्रति वफादारी मूल कर्तव्य है। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में हुए इस घटनाक्रम का वहां विपक्षी पार्टियों ने जबर्दस्त विरोध किया है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज और एमक्यूएम ने डिप्टी स्पीकर के कदम को असंवैधानिक बताया है और इस कदम के खिलाफ वे पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं।

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इमरान का असली इम्तिहान कोर्ट में

पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं भी इस घटनाक्रम का संज्ञान लिया है। अब सवाल उठता है कि क्या डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी का ये कदम संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार है? क्या स्पीकर के इस निर्णय को बदला जा सकता है। इस सवाल का अलग अलग जवाब पाकिस्तान के विधि विशेषज्ञ दे रहे हैं। पाकिस्तान की प्रमुख मीडिया एजेंसी जिओ न्यूज संविधान विशेषज्ञ सरूप एजाज के हवाले से कहता है कि स्पीकर का ये फैसला गलत है।

 

संयुक्त राष्ट्र

तो अदालतें कर सकती है हस्तक्षेप

सरूप एजाज ने कहा, “जब एक अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है और जब अटॉर्नी जनरल ने अदालत से कहा है कि मतदान हो जाएगा। तो यह कदम संवैधानिक प्रावधानों की अवहेलना प्रतीत होता है,” उन्होंने कहा कि , “अगर सदन के भीतर कोई गतिविधि दुर्भावनापूर्ण इरादे से और अधिकार से बाहर की जाती दिखती है तो अदालतें हस्तक्षेप कर सकती हैं।”

फिर से अविश्वास प्रस्ताव पर हो सकती है वोटिंग

संविधान विशेषज्ञ सरूप एजाज कहते हैं कि, “अगर अदालत फैसला करती है कि यह वास्तव में गलत इरादे से किया गया है, तो उस मामले में प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय संसद को भंग करने की सलाह को अदालत अमान्य घोषित कर सकती है। क्योंकि तब ये स्पष्ट हो जाता है कि यह एक ऐसा प्रधानमंत्री है जिसके खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव आया है। उन्होंने आगे कहा कि अगर कोर्ट स्पीकर के इस कदम के खिलाफ फैसला करती है तो फिर से अविश्वास प्रस्ताव को वोटिंग के लिए लिया जाएगा।

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असंवैधानिक है नेशनल असेंबली भंग करने की सिफारिश’

पाकिस्तान के संवैधान विशेषज्ञ मुनीब फारूक प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा राष्ट्रपति को नेशनल असेंबली भंग करने की सलाह देने को पूरी तरह से असंवैधानिक बताते हैं।

कोई किंतु-परंतु नहीं, इमरान का फैसला असंवैधानिक’

पाकिस्तान की लीगल एक्सपर्ट रीमा कमर कहती हैं कि इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं है स्पीकर का फैसला स्पष्ट रूप से असंवैधानिक है. ऐसी परिस्थिति में इमरान खान के पास राष्ट्रपति को नेशनल असेंबली को भंग करने की सलाह देने का कोई अधिकार नहीं है।

अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करना गलत

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पाकिस्तान के एक और संविधान विशेषज्ञ जिब्रान नासिर ने कहा कि यदि कोई भी कदम कानून के तहत गलत है तो उसके बाद उससे वाली और दूसरी कार्रवाई भी Null and void ही मानी जाएगी। एक गलती को खींचा नहीं जा सकता है । अगर पीएम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लंबित है तो वे नेशनल असेंबली विघटित करने की सिफारिश नहीं दे सकते हैं। अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करना असंवैधानिक था और इसके माध्यम से प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति से संसद को भंग करने के लिए कहना भी संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है।

इमरान इसे अपना मास्‍टरस्‍ट्रोक बता रहे

पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान संसद को भंग करवाकर अब आम चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। इमरान इसे अपना मास्‍टरस्‍ट्रोक बता रहे हैं और बहुत खुश हो रहे हैं। इस बीच विशेषज्ञों का कहना है कि पीएम इमरान का यह फैसला आत्‍मघाती जरूर है । लेकिन पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख एक बार फिर से अपने ‘प्‍यादे’ को चुनाव में जीत दिला सकते हैं।

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पाकिस्‍तान में सत्‍ता की डोर हमेशा से ही सेना के हाथों में रही है और जनरल कमर जावेद बाजवा उन्‍हें आम चुनाव के बाद सत्‍ता में फिर से ला सकते हैं।

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