नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बीते शुक्रवार को चुनाव आयोग को एक नोटिस जारी किया जिसमें उसने आम आदमी पार्टी से विधायकों द्वारा दाखिल की गई याचिका को लेकर जवाब मांगा है। याचिका में संसदीय सचिवों के रूप में कथित रूप से लाभ का पद जारी रखने को लेकर अयोग्य ठहराने के मामले में पार्टी के 20 विधायकों के खिलाफ चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए 21 नंवबर का दिन तय किया है।
बता दें कि विधायकों का कहना है कि जब हाईकोर्ट ने 21 विधायकों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था तो उसके बाद चुनाव आयोग द्वारा सुनवाई करने की कोई जरूरत ही नहीं है। इन 21 विधायकों में से जनरैल सिंह ने पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए राजौरी गार्डन से इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले भी कोर्ट ने आप चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर इसी तरह का आदेश दिया था। कोर्ट ने आप के उन विधायकों की उस याचिका को भी रद्द कर दिया था। जिसमें उनके पद के लाभ को लेकर अयोग्य ठहराने के मामले को खारिज करने की अपील की गई थी। कोर्ट ने उसके खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला सुनाया था।
वहीं आप सरकार ने दिल्ली विधानसभा सदस्य अधिनियम को पारित किया था। इसमें संसदीय सचिव के पद को लाभके पद की परिभाषा से बाहर रख दिया था। और इस कानून को पिछली तारीख से लागू कर दिया था। वहीं तत्कालीन राष्ट्रपति ने एस कानून को अपनी सहमति नहीं दी। जिसके बाद इन नियुक्तियों को दिल्ली हाईकोर्ट ने साल 2016 में इसे अवैध करार देकर खारिज कर दिया था। क्योंकि इस आदेश को बिना लेफ्टिनेंट गवर्नर की सहमति/अनुमोदन के बिना पारित किया गया था।