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G-7 की अहम बैठक, आसियान देशों को बुला रहा ब्रिटेन, एशिया में चीन को घेरने का प्लान !

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ब्रिटेन ने जी-7 की बैठक में आसियान देशों के विदेश मंत्रियों को न्यौता दिया है। लेकिन जो सवाल है वो ये है कि क्या दक्षिण-पूर्व एशिया में चीन को घेरने का प्लान तैयार होगा। क्या ये सभी देश चीन को घेरने में मदद करेंगे। दुनिया की नम्बर 1 की अर्थव्यवस्था चीन के खिलाफ दुनिया की सात सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह यानि जी-7 कोई बड़े कदम उठाएंगे।

चीन को कोई देश नहीं करता पसंद !

जितने भी आसियान के सदस्य देश हैं चीन उन सभी का पड़ोसी है लेकिन इसमें रोचक बात ये है कि अधिकतर देशों के साथ चीन के संबंध अच्छे नहीं है। अमेरिका और ब्रिटेन इसी बात का फायदा उठाकर इन देशों को अपने पाले में करने की कोशिश कर रहे हैं। ये सभी देश स्वतंत्रता, संप्रभुता, समानता, क्षेत्रीय अखंडता और सभी देशों की राष्ट्रीय पहचान के लिए पारस्परिक सम्मान की नीति अपनाए हुए हैं।

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7 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह

ब्रिटेन की मेजबानी में अगले महीने आयोजित होने वाले जी-7 की बैठक में दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन के सदस्यों को भी आमंत्रित किया गया है। जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है। यह बैठक लिवरपुल में 10 से 12 दिसंबर के बीच आयोजित होने वाली है। ब्रिटेन ने इसमें आसियान सदस्य देश मलेशिया,थाईलैंड और इंडोनेशिया के विदेश मंत्रियों को आमंत्रित किया है। एक दिन पहले ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ बैठक की थी।

ब्रिटेन की विदेश मंत्री ने की पुष्टि

ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रूस ने कहा कि अगले महीने लिवरपूल मेंजी-7 के विदेश मंत्रियों की बैठक इस शहर को दुनियाके सामने प्रदर्शित करने का एक शानदार अवसर है। इसमें ब्रिटिश संस्कृति,वाणिज्यऔर रचनात्मकता का सर्वोत्तम प्रदर्शन किया गया है। उन्होंने पुष्टि करते हुए बतायाकि अगले महीने होने वाली जी-7 की बैठक में आसियान देशों के विदेश मंत्रियों को आमंत्रित किया गया है।

दक्षिण चीन सागर पर गहराता विवाद

चीन पूरे दक्षिण चीन सागर को अपना इलाका बताता है। अगर ये देश अमेरिका और ब्रिटेन के प्रति अपने समर्थन को बढ़ाते हैं तो इससे क्षेत्र में चीन की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।

अमेरिका-ब्रिटेन को मिलेगा फायदा ?

आसियान एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में व्यापार, राजनीति और सुरक्षा के मुद्दों को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। इसके सदस्य देशों की कुल जनसंख्या भारत और चीन के बाद दुनिया में तीसरे नंबर पर हैं। इतना ही नहीं, आसियान दुनिया का तीसरा सबसे बड़ाबाजार भी है। यूरोपीय संघ और अमेरिका का बाजार भी आसियान से छोटा है। ऐसे में इनदेशों से अमेरिका और ब्रिटेन को बड़ा बाजार भी मिल सकता है।

चीन की बढ़ी दादागिरी

अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी और चीन के बढ़ते आक्रामक रूख से एशिया में काफी तनाव देखा जा रहा है। दक्षिण चीन सागर, हिंद महासागर,जापानसागर, प्रशांत महासागर में चीन की गतिविधियों से अमेरिका और ब्रिटेन की चिंता बढ़ी हुई है। दूसरी तरफ,चीन लगातार अपना प्रभुत्व बढ़ाता जा रहा है। उसने हाल में ही फिलीपींस की नौ सेना को खदेड़ा और लाओस में नौसैनिक बेस को तैयार कर लिया है।

ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन आमने-सामने

अमेरिका और चीन ताइवान को लेकर आमने-सामने है। शी जिनपिंग और जोबाइडन के शिखर सम्मेलन के दौरान भी ताइवान का मुद्दा प्रमुखता से उठा था। इस परजिनपिंग ने कहा था कि ताइवान उनके देश का अभिन्न अंग है और इसपर कोई समझौता नहीं हो सकता है।

क्या है G-7?

जी-7 दुनिया की 7 बड़ी विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, जर्मनी, इटली और कनाडा शामिल हैं। इसकी पहली शिखर बैठक 1975 में हुई थी। लेकिन तब इसके सिर्फ 6सदस्य थे। 1976 में कनाडा भी इसके साथ जुड़ गया जिसके बाद इसे ‘ग्रुप ऑफ सेवन’नाम मिला।

इस बार से शिखर सम्मेलन के लिए जी-7 के अध्यक्ष के नाते ब्रिटेन ने आसियान देशों को आमंत्रित किया है। अब देखना होगा कि इस बैठक में क्या कुछ खास होगा।

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