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जयंती विशेषः विश्वास की प्रतिमूर्ति लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य..

शास्त्री 2 जयंती विशेषः विश्वास की प्रतिमूर्ति लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य..

विश्वास की प्रतिमूर्ति,जय जवान, जय किसान के नारा का उद्घोष करने वाले भारत माता के लाल, शांति के प्रणेता और हिंदुस्तान के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की आज 114वीं जयंती है। देशभक्ति , ईमानदारी का प्रतीक कहे  जाने वाले शास्त्री  का जन्म 2 अक्तूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था।

 

शास्त्री 2 जयंती विशेषः विश्वास की प्रतिमूर्ति लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य..
जयंती विशेषः विश्वास की प्रतिमूर्ति लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य..

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शास्त्री  ने अपने विचारों और सादगी से  देशवासियों के हृदय को छुआ। शास्त्री को देश के सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री के रूप में याद किया जाता है। 11 जनवरी, 1966 में मरणोपरांत  शास्त्री को  भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।शास्त्री जी के पिता उनको बचपन में ही अकेला छोड़ गए थे। इस  घटना  का  असर शास्त्री के बचपन पर पड़ा।

 

लाल बहादुर शास्त्री जयंती विशेषः विश्वास की प्रतिमूर्ति लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य..
जयंती विशेषः विश्वास की प्रतिमूर्ति लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य..

 

गरीबी के चलते बचपन में पढ़ाई के दौरान शास्त्री जी कई मील की दूरी नंगे पैर जाते थे। शास्त्री  जी के पास  नदी पार करने के लिए पैसे नहीं होते थे तो वह तैरकर गंगा नदी पार करते और स्कूल जाते थे।बता दें कि लाल बहादुर शास्त्री के बचपन का नाम नन्हे था। शास्त्री  कायस्थ परिवार में  जन्में थे। उन्होंने  काशी विद्यापीठ से ‘शास्त्री’ की उपाधि प्राप्त की और अपने उपनाम श्रीवास्तव को हटाकर शास्त्री कर लिया।

महात्मा गांधी गांधी ने असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए देशवासियों से आह्वान किया था।इस समय लाल बहादुर शास्त्री केवल 16 साल के थे। उन्होंने महात्मा गांधी के इस आह्वान पर अपनी पढ़ाई छोड़ देने का फैसला  किया था। हालांकि इस निर्णय से उनकी मां की उम्मीदें टूट गईं थीं। शास्त्री जी के परिवार ने उनके इस निर्णय को गलत बताते हुए उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन परिवार की यह कोशिश नाकाम हो गई।

 

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जयंती विशेषः विश्वास की प्रतिमूर्ति लाल बहादुर शास्त्री

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लाल बहादुर ने अपना मन बना लिया था। उनके सभी खास लोगों को यह पता था कि एक बार मन बना लेने के बाद शास्त्री अपना निर्णय कभी नहीं बदलेंगें।क्योंकि बाहर से नरम दिखने वाले लाल बहादुर अन्दर से  पत्थर की तरह कठोर थे। जीवन में अनेक संघर्षों के बावजूद ,9 जून 1964 को शास्त्री  भारत केदूसरे प्रधानमंत्री बने।

गौरतलब है कि  शास्त्री  की ईमानदारी का आकलन  इसी बात से लगाया  जा सकता है कि उन्होंने 1965 में ‘फीएट कार’ खरीदने के लिए पंजाब नेशनल बैंक से पांच हजार रुपए का लोन लिया था। लेकिन वे लोन की एक किश्त भी नहीं चुका पाए और 1966 में ताशकंद समझौते के दौरान शास्त्री जी का  संदिग्ध परस्थितियों में  निधन हो गया ।

शास्त्री  के निधन के बाद बैंक ने नोटिस भेजा तो उनकी पत्नी ने अपनी पेंशन के पैसों से कार की लोन चुकाने का वायदा किया और फिर उन्होंने ही धीरे-धीरे बैंक के पैसे चुका दिए।

maheshkumar 1 1 जयंती विशेषः विश्वास की प्रतिमूर्ति लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य..

 महेश कुमार यादव

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