संयुक्त राष्ट्र। भारत ने उरी आतंकी हमले के बाद सख्त रुख अपनाते हुए जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में आतंकी घोषित कराने के प्रयासों में तेजी लाई थी लेकिन चीन ने प्रयासों पर पानी फेरते हुए वीटो की अवधि को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया था जिसके बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र के समक्ष पाकिस्तान के आतंकी संगठनों और जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के बारे में कोई फैसला नहीं लेने को लेकर यूएन को अनुत्तरदायी करार दिया है।
Sell by date of Pakistan’s anachronistic approach is over – India @UN pic.twitter.com/AiNJARuDXO
— Syed Akbaruddin (@AkbaruddinIndia) October 5, 2016
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से कहा कि 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद इस मुख्य इकाई का मकसद शांति एवं सुरक्षा बरकरार रखने का था लेकिन यह हमारे समय की जरूरतों को लेकर कई तरह से अनुत्तरदायी बन चुकी है और अपने समक्ष खड़ी चुनौतियों से निपटने में निष्प्रभावी है। इसके साथ ही उन्होंने मसूद अजहर पर वीटो के अवधि को 6 महीने और बढ़ा देने पर महासभा पर निशाना साधते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद ने इसी सोच-विचार में 6 महीने निकाल दिए कि मसूद को आतंकी घोषित किया जाए या नहीं।
सैयद अकबरुद्दीन ने कहा किसी को भी सिर्फ ये जानने के लिए 9 महीने का इंतजार करना पड़ता है कि क्या परिषद ने एकमात्र मुद्दे पर फैसला लिया होगा या नहीं। बता दें ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब भारत ने सुरक्षा परिषद में भेदभाव का मुद्दा उठाया हो इससे पहले भी भारत कई बार इस मुद्दे को सभा में उठा चुका है।
गौरतलब है कि चीन ने 2 अक्टूबर को मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक आतंकी घोषित किए जाने के भारत के प्रस्ताव पर उसने वीटो की अवधि को फिलहाल 6 महीने के लिए और बढ़ा दिया गया था। जिस पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने बयान जारी करते हुए कहा था कि भारत की ओर से मार्च, 2016 में 1267 समिति को सौंपे गए आवेदन पर वीटो को पहले ही आगे बढ़ा दिया गया है।