Himalayan Balsam: 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश हकुमत लंदन को भव्य बनाने में जुटी थीं। तब हिमालय में घूम रहे कुछ ब्रिटिश लोगों की नजर फूलों पर पड़ी। उन्हें लगा ठंडए इलाकों का फूल लंदन में खिल जाएगा।
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फिर हिमालय के इस फूल के बीज 1839 में लंदन पहुंचा दिए गए और इस फूल को नाम दिया गया हिमालयन बॉल्सम। सबसे पहले इस फूल को रॉयल गार्डन में लगाया गया, फिर ये धीरे-धीरे आम लोगों की क्यारियों में पहुंचा।
आज ये पौधा कई देशों में पहुंच चुका है। ये पौधा पानी के किनारे और कम धूम में काफी तेजी से बढ़ता है, जिसके कारण कई जगहों इसको लेकर लोगों को समस्या पैदा होने लग पड़ी है।
आपको बता दें कि अमेरिका और ब्रिटेन में इस पौधे को हटाने के लिए बसंत के बाद बड़े पैमाने पर अभियान चलाए जाते हैं। लेकिन 140 साल गुजर जाने के बाद पता चलने लगा कि ये कितनी बड़ी गलती थी।
आज उत्तरी अमेरिका, यूरोप, उत्तरी एशिया और न्यूजीलैंड में घुसपैठिया प्रजाति कहा जाता है। आज ये पौधा की नए इलाकों में ये घुसपैठ आज पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा है