कोरोना की तीसरी लहर में अब बड़ा खतरा ब्रेन स्ट्रोक का है। संक्रमण के बाद कमजोर हुई दिमाग की नस फट रही है, जिससे मरीजों की हालत बिगड़ रही है। बिहार के अस्पतालों में कोरोना से ठीक हुए लोगों में ब्रेन स्ट्रोक के चौंकाने वाले मामले आ रहे हैं।
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पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान ने तो कोरोना संक्रमितों में तेजी से बढ़ रहे ब्रेन स्ट्रोक के मामलों को शोध का विषय बताया है। IGIMS में 15 दिनों में ब्रेन स्ट्रोक 42 मामलों में और 30 में पोस्ट कोविड का इंडीकेटर है। पटना में ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को बेड मिलना मुश्किल हो रहा है। IGIMS में इन दिनों ब्रेन स्ट्रोक के मामलों ने डॉक्टरों को भी चौंका दिया है। 15 दिनों के अंदर 42 से अधिक ब्रेन स्ट्रोक के मरीज भर्ती हुए हैं।
क्या कहती है स्टडी
IGIMS के मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट डॉ. मनीष मंडल का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर में जिस तरह से कोरोना संक्रमितों में ब्रेन स्ट्रोक का मामला आ रहा है, यह जांच का विषय है। 2021 में भी कोविड था। लेकिन ब्रेन स्ट्रोक के ऐसे मामले नहीं आए थे। इस बार 15 दिनों में ब्रेन स्ट्रोक के 42 मामले आए हैं। जिसमें 30 में कोरोना का साइड इफेक्ट दिख रहा है।
इसलिए हो रहा ब्रेन स्ट्रोक?
कोरोना संक्रमण के बाद दिमाग की नसों पर बड़ा असर पड़ रहा है। दिमाग की कमजोर नसों पर रक्त का दबाव बढ़ने से वह फट जा रही हैं। मौसम कभी बहुत ठंडा हो रहा है तो कभी बहुत गर्मी हो रही है, यह भी कारण बन रहा है। ब्लड प्रेशर और शुगर की मॉनिटरिंग में कमी के साथ दवा में लापरवाही भी खतरा बढ़ा रही है। कोरोना के संक्रमण के बाद लोग लापरवाही कर रहे हैं, जिससे खतरा बढ़ रहा है।
एक्सपर्ट की ये है रॉय
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना के कारण नसों से जुड़ी समस्या तेजी से बढ़ी है। संक्रमण से ठीक होने के बाद भी ऐसा देखा जा रहा है कि मरीजों में ब्रेन स्ट्रोक से लेकर नसों की अन्य समस्या हो रही है। ऐसे में कोरोना के बाद भी लोगों को उतना ही अवयेर रहना होगा, जितना कोरोना को लेकर रहा जाता है।
खान-पान रखें सही
खान-पान के साथ शुगर, ब्लड प्रेशर की मॉनिटरिंग व एक्सरसाइज से कोरोना के साइड इफेक्ट को कम किया जा सकता है। इस ठंड के मौसम में खासकर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।