बरसात का मौसम चल रहा है इस मानसून के मौसम में बारिश के साथ कई बीमारियां भी आती हैं ।
यह भी पढ़े
अजग देवगन की बेटी ने विदेश में दोस्तों संंग की पार्टी , फ़ोटो देख भड़के लोग
इन बीमारियों में मच्छर से होने वाली बीमारियां भी शामिल हैं। जिन पर वक्त रहते ध्यान न दिया जाए, तो जानवेला भी साबित हो सकती हैं। मानसून में पानी के जमाव और गंदे पानी की वजह से लाखों मच्छर पनपने लगते हैं। जो कुछ दिन में डेंगू, मलेरिया, जीका, चिकनगुनिया, पीला बुखार जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण बनते हैं।
शिशु, छोटे बच्चे और बूढ़ें इन बीमारियों के शिकार आसानी से हो जाते हैं, क्योंकि उनकी इम्यूनिटी कमज़ोर होती है। इनमें सबसे आम बीमारी है डेंगू जो हर साल हज़ारों लोगों की मौत की बड़ी वजह भी है। यह इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि डेंगू के शुरुआती लक्षण लगभग न के बराबर दिखते हैं, खासकर अगर मामला बच्चों का हो। डेंगू के मच्छर के काटने के चार दिन बाद संक्रमण बढ़ने के लक्षण दिखने शुरू होते हैं, इसलिए छोटे बच्चों में स्थिति ज़्यादा गंभीर हो जाते है।
अगर आपका बच्चा नाक बहना और खांसी के साथ तेज़ बुखार से पीड़ित है तो यह डेंगू का लक्षण भी हो सकता है। हालांकि ये लक्षण सामान फ्लू के भी हैं। हालांकि, 24 घंटे में भी अगर बुखार नहीं उतरता तो चाइल्ड स्पेशलिस्ट को ज़रूर दिखाएं।
बड़े लोगों की तुलना में, छोटे बच्चे यह समझ नहीं पाते हैं कि उनके साथ क्या हो रहा है। इससे वह चिड़चिड़े और उत्तेजित होने लगते हैं। वे नखरे करेंगे और अक्सर वे खाना खाना छोड़ देते हैं।
जी मिचलाना, उल्टी आदि जैसे लक्षण, जिन्हें गलती से गैस्ट्रोएंटेरिटिस भी समझा जा सकता है डेंगू के भी लक्षण हो सकते हैं। इसमें पेट में भी तेज़ दर्द का हो सकता है।
बच्चे को अगर डेंगू हो जाए, तो वे जोड़ों, पीठ और सिर में गंभीर दर्द का अनुभव कर सकते हैं। अपने बच्चे से यह समझने के लिए बात करते रहें कि उन्हें क्या-क्या तकलीफ हो रही है ताकि आप डॉक्टर को अच्छी तरह से समझा सकें।
बच्चों में डेंगू होने पर सबसे आम लक्षण है त्वचा पर चकत्ते या लाल दाने निकलना। यह खसरे की तरह पैच में दिखाई देता है। त्वचा पर लगातार खुजली होना डेंगू का एक और लक्षण है।
डेंगू होने पर प्लेटलेट काउंट भी कम होने लगता है, जिसकी वजह से बच्चों के मसूड़ों और नाक से खून बहने लगता है। ऐसे मामलों में फौरन अस्पताल ले जाने की ज़रूरत होती है क्योंकि कुछ मामलों में यह रक्तस्रावी बुखार या शॉक सिंड्रोम जैसी स्थिति जानलेवा हो सकती है।