लखनऊ। जैसे-जैसे यूपी विधानसभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे ही राजनीतिक दलों के साथ कर्मचारी संगठनों की सक्रियता भी तेज होती जा रही है। पुरानी पेंशन बहाली की लड़ाई को लेकर शुरू हुआ शिक्षकों और कर्मचारियों का संगठन अटेवा अब किसी परिचय का मोहताज नहीं रहा। इसी अटेवा ने सरकारों को चेतावनी दी है कि जो उनकी मांगों को नहीं सुनेगा उसको बदल देंगे। अपने इसी तेवर के साथ अटेवा ने यूपी में भी आंदोलन की रूप रेखा तैयार कर ली है और जल्द ही बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। अटेवा अक्टूबर में आंदोलन की तैयारी कर रहा है। इसको लेकर रणनीतियां बननी शुरू हो गई हैं। अटेवा का दावा है कि पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर यूपी में करीब 13 लाख कर्मचारी इस आंदोलन का हिस्सा होंगे।
नई पेंशन में विसंगतियां ही विसंगतियां
एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार ‘बंधु ने कहा कि पेंशन की विसंगतियां लगातार सामने आ रही है। सरकार हमारे बुढ़ापे की लाठी छीन रही है। कर्मचारियों और शिक्षकों की संख्या बहुत बड़ी है। इसको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ने कहा कि पुरानी पेंशन तो सरकार को बहाल करनी ही होगी। जो हमारी मांगों को अनसुना करेगा हम उसे बाहर कर देंगे। सरकारों को बदलना पड़े तो बदलेंगे लेकिन अपनी पेंशन को बहाल जरूर कराएंगे।
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नई पेंशन व्यवस्था बुखार है तो निजीकरण कैंसर
अटेवा के मुखिया ने कहा पुरानी पेंशन की बहाली के साथ निजीकरण को भी लेकर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि नई पेंशन की व्यवस्था अगर बुखार है तो निजीकरण कैंसर है। इसके बहुत ही दुखदायी परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि निजीकरण देश को बर्बादी के कगार पर लेकर जाएगा। हम एक ऐसी व्यवस्था की ओर जा रहे हैं, जहां पर आम आदमी का जीना दूभर हो जाएगा।
सरकार का दोहरा रवैया
अटेवा प्रवक्ता राजेश कुमार ने कहा कि सरकार कहती है कि कर्मचारियों को देने के लिए हमारे पास पैसा नहीं है। अगर सरकारी कर्मचारियों का भत्ता बढ़ता है तो कहा जाता है कि इतना भार बढ़ा लेकिन जब जनप्रतिनिधियों का भत्ता बढ़ता है तो यह सवाल क्यों नहीं आता? उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में दोहर रवैया अपनाया है।
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कई राज्यों में बदल दी सरकारें
राजेश कुमार ने दावा कि उनके मुद्दों पर कई राज्यों में चुनाव लड़ा गया। जिन दलों ने उनके मुद्दों का समर्थन किया है उनकी सरकार बनी है। अब समय है कि वो अपने वादों को पूरा करें। उन्होंने कहा कि झारखंड, तेलंगाना, बिहार आदि राज्यों में एनपीएस के कर्मचारियों के बूते सरकार बनी है। दूसरे राज्यों में भी होने वाला है। राजेश कुमार ने कहा कि सीएम योगी जब सांसद थे तो उन्होंने पुरानी पेंशन की बहाली के लिए मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था। लेकिन, जबसे वो सीएम बने हैं तबसे उनसे मुलाकात नहीं हुई है। इसके बाद भी हमने लगातार उनसे संपर्क करने की कोशिश की है।
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यूपी में सबसे बड़ा मुद्दा बनेगा पुरानी पेंशन
राजेश कुमार ने दावा किया कि यूपी में पुरानी पेंशन की बहाली का मुद्दा सबसे बड़ा होगा। यूपी में करीब 13 लाख सरकारी कर्मचारी हैं। अगर हर कर्मचारी के परिवार में चार सदस्य भी जोड़ें तो करीब 52 लाख लोग सीधे प्रभावित हो रहे हैं। आप चुनावों को देखें तो पोस्टल बैलेट का असर पूरे चुनाव पर पड़ता है। पोस्टल बैलेट से सबसे ज्यादा मतदान सरकारी कर्मचारी ही करते हैं। ऐसे में सभी दल यह जानते हैं कि पुरानी पेंशन के मुद्दे पर वो पीछे हटेंगे तो उसके नतीजे भी भुगतेंगे।
दर्द को समझने की जरूरत
अटेवा के ही आनन्द मिश्रा कहते हैं कि हमारे दर्द को समझने की जरूरत है। सरकार इसकी अनदेखी कर रही है। लेकिन इसे यूं ही नहीं जाने दिया जाएगा। आनन्द मिश्रा ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के खिलाफ साजिश कर रही है। लेकिन, हमने भी मुहिम छेड़ दी है। अब आरपार की लड़ाई होगी और हम लड़ेंगे। पेंशन की विसंगतियों को गिनाते हुए उन्होंने कहा कि हमारी भी स्थिति 60 साल के बाद सिद्धार्थ शुक्ला की तरह होगी। हम कहीं के नहीं रहेंगे और बेमौत मारे जाएंगे।
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आनन्द मिश्रा ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि जिन सरकारों ने हमारी मांगों को नहीं माना हमने अटेवा के बैनर तले दम दिखाकर सरकार को बदल दिया है। यूपी में भी मांगें नहीं मानीं गईं तो सरकार बदलनी तय है। सरकार कहती है कि हम काम नहीं करते इसलिए नीजिकरण किया जा रहा है तो डाटा जारी किया जाए।
नई पेंशन व्यवस्था ठीक है तो बदलाव क्यों किए जा रहे हैं
आनन्द मिश्रा ने कहा कि नई पेंशन व्यवस्था अगर ठीक है तो सरकार लगातार संशोधन क्यों कर रही है। एक पन्ने का जीओ आज गट्ठर का ढेर बन गया है। सरकार को बताना होगा कि ऐसा क्यों हो रहा। उन्होंने कहा कि सरकार के पास पेंशन देने से भार बढ़ रहा है तो नेताओं को क्यों दिया जा रहा है। इसका आंकड़ा क्यों नहीं जारी किया जाता है।