पेरिस समझौते के पांच साल पूरे होने पर जलवायु महत्वाकांक्षा शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर जावड़ेकर ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से विकसित राष्ट्र सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जक रहे हैं और इस तरह ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार है.
आपको बता दें जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन की मेजबानी संयुक्त रूप से ब्रिटेन प्रेसीडेंसी द्वारा संयुक्त रूप से संयुक्त राष्ट्र और फ्रांस के साथ इटली और चिली के साथ साझेदारी में की जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अन्य नेताओं के अलावा एक वीडियो संदेश के माध्यम से शिखर सम्मेलन को संबोधित करेंगे.
जलवायु परिवर्तन के लिए भारत जिम्मेदार नहीं- प्रकाश जावड़ेकर
पेरिस समझौते के पांच साल पूरे होने के सिलसिले में नई दिल्ली में प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन हाल की घटनाओं का परिणाम नहीं है बल्कि ये एतिहासिक घटनाक्रम का नतीजा है. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन का बहुत बड़ा हाथ रहा है. उन्होंने कहा कि इन गैसों के कुल उत्सर्जन में अमरीका 25 प्रतिशत, यूरोप 22 प्रतिशत और चीन 13 प्रतिशत गैसों का उत्सर्जन करते है जबकि भारत का हिस्सा सिर्फ तीन प्रतिशत का है.
ऐतिहासिक रूप से भारत में केवल 3 प्रतिशत का कम कार्बन उत्सर्जन योगदान है. वर्तमान में भी, हमारा कार्बन उत्सर्जन वैश्विक उत्सर्जन के 68 प्रतिशत पर सीमित है और प्रति व्यक्ति उत्सर्जन केवल 19 टन प्रति व्यक्ति है. इस प्रकार, हमारे ऐतिहासिक, साथ ही ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए वर्तमान योगदान, कम है.
क्या है पेरिस जलवायु समझौता?
जलवायु परिवर्तन का मतलब होता है उद्योग, वाहनों और कृषि सहित अन्य तरह के कार्यों से उत्सर्जित होने वाली गैसों से पर्यावरण को होने वाला नुकसान। पेरिस जलवायु समझौते का मसकद इसी तरह की हानिकारक गैसों का उत्सर्जन कम करना है, ताकि दुनियाभर में बढ़ रहे तापमान को रोका जा सके.
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के लिए भारत को कतई जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, हमने जिम्मेदारी से इस मुद्दे का समाधान किया है और अपने कार्बन उत्सर्जन को रोकने और पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए मजबूत उपाय किए हैं.