लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा गुमराह करती है और उससे बड़ा झूठ कोई नहीं बोल सकता है। भाजपा राज में सभी बुरी तरह परेशान हैं। जनता से जो भी वादे किए गए साढ़े चार साल हो गए कोई वादा पूरा नहीं हुआ। जनता इस बार भाजपा को हटाने के लिए तैयार है।
अखिलेश यादव बुधवार को हरदोई में समाजवादी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष एवं एमएलसी डॉ0 राजपाल कश्यप के पिता सियाराम कश्यप की तेरहवीं संस्कार में शामिल होने आए थे। उन्होंने सियाराम कश्यप के चित्र पर पुष्पांजलि के साथ श्रद्धांजलि दी।
अखिलेश यादव ने इस मौके पर लोगों से मुखातिब होते हुए कहा कि किसान दुःखी है उसकी आय दोगुनी नहीं हुई, नौजवानों की नौकरियां छूट गईं। नोटबंदी और जीएसटी की वजह से व्यापारी परेशान है। जनता को गरीब के लिए जो व्यवस्था करनी थी वह भाजपा सरकार ने नहीं की। कोरोना संकट के समय जब जनता को सरकार की मदद की सबसे ज्यादा जरूरत थी तब भाजपा सरकार ने लोगों को अनाथ छोड़ दिया।
पूर्व सीएम ने कहा भाजपाराज में कोविड संक्रमण के दौर में लोग अपने आप दवा ढूंढते रहे। अस्पतालों में मरीजों को बेड नहीं मिले। आक्सीजन के अभाव में तमाम लोगों की जानें चली गई। आम जनता से भाजपा सरकार ने धोखा किया है। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाकर किसान पर मंहगाई लाद दी गई है। बिजली मंहगी हो गई है। किसान ऐसे में आगे नहीं बढ़ सकता है।
अखिलेश ने कहा कि जिन संस्थानों में नौकरियां मिल सकती थीं उन्हें बेचा जा रहा है। सरकारी कारखाने बिक रहे हैं। उन्हें मामूली पैसों में उद्योगपतियों के हाथ बेचा जा रहा है। राष्ट्रीय सम्पत्ति बेचने वाली सरकार गरीब की सरकार नहीं हो सकती। भाजपा सरकार उद्योगपतियों को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। सरकारी कम्पनियों के खत्म होने से आरक्षण का लाभ भी पिछड़ों, दलितों और गरीबों को नहीं मिल सकेगा। संविधान उन्हें जो अधिकार देता है वे भी हासिल नहीं हो पाएंगे।
अखिलेश ने कहा कि 2022 में प्रदेश में भारी बहुमत की समाजवादी सरकार बनेगी। भाजपा इससे डरी हुई है। भाजपा के प्रति जनाक्रोश बढ़ रहा है। आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा को हार का निश्चित ही सामना करना पड़ेगा।
अखिलेश यादव की लखनऊ से हरदोई यात्रा के दौरान जगह-जगह पर उनका कार्यकर्ताओं एवं जनता ने स्वागत किया। इसमें बड़ी संख्या में आसपास के क्षेत्रों की महिलाएं, बूढ़े, बच्चे, किसान, नौजवान, अल्पसंख्यक सभी शामिल थे।