नई दिल्ली: हाल ही में हुए देश के पांच राज्यों के चुनावी नतीजों में बीजेपी को बुरी हार का सामना देखना पड़ा था. बीजेपी शासित तीनों राज्यों में कांग्रेस ने वापसी की है। वहीं इस हार के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को कहा कि ‘नेतृत्व’ को ‘हार और विफलताओं’ की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
एक कार्यक्रम में बोल रहे थे नितिन गड़करी
दरअसल नितिन गड़करी पुणे जिला शहरी सहकारी बैंक असोसिएशन लिमिटेड द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस दौरान नितिन ने कहा कि राजनीति में जब भी हार होती है तब कमेटी बैठती है लेकिन जब जीत मिलती है तो कोई पूछने वाला नहीं होता है क्योंकि जीत के सभी हकदार होते हैं, हार की जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं होता.
विफलता को कोई स्वीकार नहीं करना चाहता
गड़करी ने कहा कि सफलता की तरह कोई विफलता की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता. गडकरी ने कहा, ‘सफलता के कई दावेदार होते हैं लेकिन विफलता में कोई साथ नहीं होता. सफलता का श्रेय लेने के लिये लोगों में होड़ रहती है लेकिन विफलता को कोई स्वीकार नहीं करना चाहता, सब दूसरे की तरफ उंगली दिखाने लगते हैं.’
गडकरी ने कहा के राजनीति में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद प्रत्याशी मिलने पर बहाना बनाते हैं कि पोस्टर नहीं मिला, पार्टी से पैसा मांग रहा था तो नहीं दिया. बड़े नेता की सभा मांगी थी तो वो भी नहीं हुई, कैंसिल कर दी. इस प्रकार सारा वातावरण खराब कर दिया और इन सब कारणों की वजह से हार हुई है.
गडकरी बोले, ‘मैंने ऐसे नेताओं से कहा कि आप चुनाव हारे क्योंकि इसमें पक्ष और आप खुद लोगों का विश्वास पाने में पीछे रह गए और इसीलिए आपकी हार हुई. इसलिए अपने हार की जिम्मेदारी खुद लो दूसरो पर जिम्मेदारी मत डालो.’ गडकरी ने कहा कि हार का क्रेडिट लेने की हिम्मत नेतृत्व में होनी चाहिए और जब तक नेतृत्व हार का क्रेडिट खुद के कंधों पर नहीं लेगा तब तक संस्था के प्रति उनकी लॉयल्टी और कटिबद्धता सिद्ध नहीं होगी.