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GOOD NEWS: मरीजों की बची हुई दवा से बीमारी दूर भगा रही ‘एक उम्मीद’

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अगर आप कोरोना की चपेट में आने के बाद ठीक हो चुके हैं, और घर पर दवा बची है तो उसे फेंके नहीं, एक उम्मीद संस्था को दान कर दें।

कोरोना काल में तमाम छोटे-बड़े समाजसेवी संगठन अपने-अपने तरीके से लोगों की मदद कर रहे हैं। यूपी के शहर बरेली की एक उम्मीद संस्था ने लोगों की मदद के लिए दवा दान कार्यक्रम शुरू किया है। संस्था कोविड से उबर चुके मरीजों से बची हुई दवा फेंकने की बजाय दान करने की अपील कर रही है।

एक उम्मीद संस्था की मुखिया और फनसिटी बरेली की डायरेक्टर अमिता अग्रवाल ने बताया कि कोरोना से उबरने के बाद तमाम लोग बची हुई दवाओं को फेंक देते हैं। इस तरह के मामले जानकारी में आ के बाद हमने दवा दान कार्यक्रम शुरू किया।

अमिता अग्रवाल ने बताया कि संस्था की ऑनलाइन मीटिंग में उन्होंने इसके लिए पहल की। लोगों से घर पर बची हुई दवा मांगना थोड़ा अजीब काम था। मगर, पहल करने के दूसरे ही दिन से लोग इसके लिए आगे आना शुरू हो गए।

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पेट्रोल पंप पर रखवा दिया डोनेशन बॉक्स

लोगों का सकारात्मक रुझान आने के बाद संस्था ने संजयनगर पेट्रोल पंप पर मेडिसिन डोनेशन बॉक्स रखवा दिया। तमाम लोग पंप पर पहुंचकर दवाएं दान कर रहे हैं। संस्था उनके अलग-अलग पैकेट बनाकर जरूरतमंदों तक पहुंचा रही हैं।

 

व्हाट्सअप  नंबर पर भी दे सकते हैं दवा दान करने की जानकारी

अमिता अग्रवाल ने बताया कि दवा दान करने के संस्था ने एक व्हाट्सअप नंबर भी जारी किया है। लोग 7037809468 पर व्हाट्सअप भी कर सकते हैं। संस्था ऐसे लोगों के घर पर किसी को भेजकर दवा मंगा लेगी।

 

संस्था की सदस्यों ने खुद से की शुरुआत

अमिता अग्रवाल ने बताया कि सबसे पहले संस्था की सदस्यों ने अपने खर्चे पर दवा के तमाम पैकेट तैयार कराए। इन पैकेटों को जरूरतमंदों तक पहुंचाने के बाद लोगों से अपील की गई कि वो अपने घरों पर बची हुई दवा दान कर सकें।

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गांवों में दवा की ज्यादा जरूरत, बाकी संस्थाएं भी आएं आगे

शहरों में कोरोना के केस कम हो गए हैं। मगर, गांवों का हाल बुरा है। यहां तमाम लोग बुखार से जूझ रहे हैं और साधनहीनता के चलते जांच नहीं करा पा रहे। एक उम्मीद का दवा वितरण कार्यक्रम शुरू होने के बाद अब तक तमाम गांवों के प्रधान दवा लेने आ चुके हैं। अमिता अग्रवाल ने कहा कि गांवों के हालात को देखते हुए बाकी संस्थाओं को भी इस काम के लिए आगे आना चाहिए। इस वक्त लोगों को वाकई मदद की जरूरत है।

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