Draupadi Murmu: मंगलवार को भाजपा नेता द्रौपदी मुर्मू को NDA का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है। सत्ताधारी दल होने के चलते द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना लगभग तय माना जा रहा है। एक आदिवासी चेहरा जो पहली बार राष्ट्रपति पद के लिए रेस में है। अगर द्रौपदी मुर्मू ये चुनाव जीत जाती हैं तो भारत के इतिहास में पहली बार होगा कि कोई आदिवासी राष्ट्रपति बनेगा।
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द्रौपदी मुर्मू का जीवन बेहद ही मुश्किलों और उतार-चढ़ाव से भरा रहा। एक आदिवासी परिवार में जन्म लेने के चलते द्रौपदी मुर्मू को कई सामाजिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन विपरीत इसके उन्होनें सभी मुश्किलों को पछाड़ते हुए अपना एक अलग मुकाम हासिल किया। आइए जानतें हैं द्रौपदी मुर्मू के बारे में
जीवन
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा राज्य के मयूरभंज जिले में एक आदिवासी परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था, जो कि अपने पुस्तैनी परम्परा के अनुसार अपने गांव और समाज के मुखिया थे।
द्रौपदी मुर्मू ने श्याम चरण मुर्मू आए विवाह किया, जिनसे उन्हें दो बेटे और एक बेटी हुई। द्रौपदी मुर्मू के दोनों बेटों की मृत्यु हो गई और फिर समय के साथ उनके पति भी साथ छोडकर हमेशा के लिए पंचतत्व में विलीन हो गए।लेकिन द्रौपदी मुर्मू ने इस मुश्किल दौर से गुजरने के बाद हर नहीं मानी और अपना सफल राजनीतिक कैरियर गढ़ने में लगी रहीं।
शैक्षणिक योग्यता
शुरुआती शिक्षा अपने गृह जनपद से प्राप्त करने के पश्चात द्रौपदी ने भुबनेश्वर स्थित रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई पूरी करने के बाद द्रौपदी मुर्मू ने एक शिक्षक के तौर पर कुछ समय तक काम किया।
राजनीतिक परिचय
द्रौपदी मुर्मी ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत ओडिशा राज्य से भारतीय जनता पार्टी की सदस्य बनते हुए की। द्रौपदी मुर्मू को राजनीति में व्यक्तिगत पहचान 1997 से मिलनी शुरू हुई, जब उन्हें रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद के रूप में चुना गया था। इसी के साथ द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।
ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल की गठबंधन सरकार के दौरान 6 मार्च 2000 से 6 अगस्त 2002 तक द्रौपदी मुर्मू को वाणिज्य और परिवहन का स्वतंत्र प्रभार मंत्री और 6 अगस्त 2002 से 16 मई 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। द्रौपदी मुर्मू ने इस दौरान साल 2000 और 2004 में ओडिशा के रायगंज विधानसभा सीट से बतौर विधायक जीत हासिल की।
इसके अलावा द्रौपदी मुर्मू 2015 से 2021 के बीच झारखंड की नौवीं राज्यपाल के रूप में अपनी सेवाएं दी और इस दौरान उन्होंने राज्य की पहली महिला राज्यपाल होने का भी गौरव प्राप्त किया तथा साथ ही अपने गृह जनपद मयूरभंज से भाजपा जिला अध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं।
उपलब्धियां
द्रौपदी मुर्मू को बतौर विधायक साल 2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक के रूप में ‘नीलकंठ पुरस्कार’ से नवाजा गया। इसी के साथ झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने के अलावा द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित होने वाली देश की पहली महिला आदिवासी नेता हैं।