featured धर्म

Diwali 2021: लक्ष्मी पूजन का कब है शुभ मुहूर्त, जानिए पूजन विधि

दिवाली

Diwali 2021: दिवाली का त्यौहार दशहरे के 21 दिन बाद कार्तिक मास की अमावस्या को आता है। वैसे इस त्यौहार की धूम-धाम कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से कार्तिक शुक्ल द्वितीय अर्थात् पाँच दिनों तक रहती है। दीवाली के पर्व की यह विशेषता है कि इसके साथ चार त्यौहार और मनाये जाते हैं।दिवाली का उत्साह एक दिन नहीं, अपितु पूरे सप्ताह भर रहता है।

दिवाली शरद ऋतु के प्रारंभ होने का संकेत

दिवाली का त्यौहार वर्षा ऋतु के समाप्त होने और शरद ऋतु की प्रारंभ होने का संकेत होता है। दिवाली के त्यौहार पर मौसम गुलाबी ठंड का होता है। जिससे चारों और खुशहाली का मौसम बनता है। बीते साल को कोरोना वायरस के चलते लोगों ने दीवाली बेहद सतर्कता के साथ मनाई थी। कुछ ऐसी ही स्थिति इस बार भी रहेगी, ऐसे में कोरोना के चलते लोगों सावधानी से दीवाली मनानी चाहिए, जिसको लेकर सरकार की ओर से समय- समय पर लोगों के लिए गाइडलाइंस जारी की जा रही है।

भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दिवाली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात (हे भगवान!) मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाइए। यह उपनिषदों की आज्ञा है। इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं और सिख समुदाय इसे बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है।

माना जाता है कि दिवाली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे। अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है।

दीवाली यही चरितार्थ करती है- असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय। दिवाली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दिवाली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफेदी आदि का कार्य होने लगता है। लोग दुकानों को भी साफ-सुथरा कर सजाते हैं। बाजारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है। दिवाली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाजार सब साफ-सुथरे व सजे-धजे नजर आते हैं।

साल 2021 कुछ ही दिनों में खत्म होने वाला है और नया साल 2022 आने वाला है। हर साल की तरह ही साल 2022 में नए पर्व, व्रत और त्योहार आएंगे। ऐसे में हम आपको इस साल 4 नवंबर को होने वाली दिवाली के बारे में बताने जा रहे हैं।
दिवाली को रोशनी का हिंदू त्योहार है। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। साल 2021 में दिवाली 4 नवंबर को मनाई जाएगी। ऐसे में आइए जानते हैं कि साल 2021 में दिवाली (diwali 2021) का शुभ मुहूर्त और तारीख-

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त : 18:10:29 से 20:06:20 तक
अवधि : 1 घंटे 55 मिनट
प्रदोष काल : 17:34:09 से 20:10:27 तक
वृषभ काल : 18:10:29 से 20:06:20 तक
अमावस्या तिथि प्रारम्भ : नवम्बर 04, 2021 को 06:03 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त : नवम्बर 05, 2021 को 02:44 बजे

दिवाली पर निशिता काल मुहूर्त
निशिता काल : 23:39 से 00:31, नवम्बर 05
सिंह लग्न : 00:39 से 02:56, नवम्बर 05

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त स्थिर लग्न के बिना
अमावस्या तिथि प्रारम्भ : नवम्बर 04, 2021 को 06:03 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त : नवम्बर 05, 2021 को 02:44 बजे

दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातःकाल मुहूर्त्त (शुभ): 06:34:53 से 07:57:17 तक
प्रातःकाल मुहूर्त्त (चल, लाभ, अमृत): 10:42:06 से 14:49:20 तक
सायंकाल मुहूर्त्त (शुभ, अमृत, चल): 16:11:45 से 20:49:31 तक
रात्रि मुहूर्त्त (लाभ): 24:04:53 से 25:42:34 तक

लक्ष्मी की पूजा
दिवाली का त्योहार के शभु मुहूर्त में मां लक्ष्मी की पूजा। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, दीवाली पर लक्ष्मी की पूजा किए बिना त्योहार अधूरा रहता है। इससे घर में धन धान्य की वृद्धि होती है। पुजारियों के मुताबिक, इस साल दिवाली त्योहार पर प्रदोषयक्त अमावस्या तिधि और स्थिर लग्न और स्थिर नवांश है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार भी इस मुहूर्त में लक्ष्मी का पूजन बेहद शुभ है। मान्यता के मुताबिक, स्वच्छ तन और मन से लक्ष्मी की पूजा करें तो व्यक्क्त की हर इच्छा पूरी हो जाती है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, दीवाली की शाम को पूजा के बाद मां लक्ष्मी की आरती और मंत्रों का जाप करने से मन की हर इच्छा पूर्ण है।

दिवाली पर लक्ष्मी पूजन की विधि
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन से पूर्व स्थान को शुद्ध और पवित्र करें। इसके बाद कलश को तिलक लगाकर स्थापित करें। कलश पूजन करें। हाथ में फूल, अक्षत और जल लेकर मां लक्ष्मी का ध्यान लगाएं। इसके बाद सभी चीजों को कलश पर चढ़ा दें। इसे पश्चात श्रीगणेश जी और लक्ष्मी पर भी पुष्प और अक्षत अर्पित चढ़ाएं. इसके उपरांत लक्ष्मी जी और गणेशजी की प्रतिमा को थाली में रखकर दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं. बाद में स्वच्छ जल से स्नान कराएं। इसके बाद लक्ष्मी जी और गणेशजी की मूर्ति को पुनः चौकी पर स्थापित करें। लक्ष्मी जी और गणेश जी को चंदन का तिलक लगाएं और पुष्प माला पहनाएं। खील-खिलौने, बताशे, मिष्ठान, फल, रुपये और स्वर्ण आभूषण रखें। इसके बाद गणेश जी और लक्ष्मी जी की कथा पढ़ें, आरती करें। पूजा समाप्त करने बाद प्रसाद वितरित करें. जरूरतमंद व्यक्तियों को दान दें।

वहीं, कुछ लोग ऊं श्रीं श्रीं हूं नम: का 11 बार या एक माला का जाप करते है। देवी सूक्तम का भी पाठ किया जाता है। पूजा के दौरान लोग लक्ष्मी जी के चरणों में अनार के अलावा, सिंघा़डा और श्रीफल का भोग भी लगाते है। पूजा के दौरान लक्ष्मी को सीताफल को भोग भी लगाया जाता है। कुछ इलाकों में दिवाली की पूजा पर ईख और गुड भी लक्ष्मी जी को अर्पित करते हैं। लक्ष्मी को अर्पण के दौरान मिठाई आदि भी रखी जाती है।

Related posts

बीजेपी ने देश में पैदा किया नफरत का माहौल-अशोक गहलोत

mohini kushwaha

उत्तराखंड: 24 घंटे में सामने आए 2991 नए संक्रमित, 53 लोगों की मौत

pratiyush chaubey

अकबरी गेट व्यापार मंडल के कार्यवाहक अध्यक्ष बने रियाज खान

Shailendra Singh