उत्तराखंड राज्य

जल संरक्षण व जल स्रोतों के विकास के लिये जिलाधिकारियों को उपलब्ध करायी जायेगी 50-50 लाख की धनराशि

cm rawat 3 4 जल संरक्षण व जल स्रोतों के विकास के लिये जिलाधिकारियों को उपलब्ध करायी जायेगी 50-50 लाख की धनराशि

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बीते बुधवार को सचिवालय में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों से आगामी बरसात में जनपद स्तर पर सघन वृक्षारोपण एवं जल संरक्षण की दिशा में किये जा रहे प्रयासों एवं कार्ययोजना की जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि प्रदेश के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में जल संरक्षण की दिशा में सघन प्रयास किये जाय, इसके लिये सभी जिलाधिकारियों को 50-50 लाख की धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी। उन्होंने कहा कि इस अभियान में सभी विधानसभा क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों की भागीदारी एवं सहयोग प्राप्त किया जाय। जो जल स्रोत सूख गये है उनमें इस बरसात में किये गये प्रयासों से कितना पानी उपलब्ध होता है इसकी भी जानकारी रखी जाय।

 

cm rawat 3 4 जल संरक्षण व जल स्रोतों के विकास के लिये जिलाधिकारियों को उपलब्ध करायी जायेगी 50-50 लाख की धनराशि

 

बता दें कि उन्होंने इस सम्बन्ध में महाराष्ट्र में किये जा रहे जल संरक्षण के प्रयासों का स्थलीय निरीक्षण कर लौटे अधिकारियों से वहां के अनुभवाों से भी इस दिशा में पहल करने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जलागम प्रबन्धन के लिये धनराशि की कमी नही होने दी जायेगी। इस दिशा में आम लोगों की भागीदारी भी सुनिश्चित किये जाने पर भी उन्होंने बल दिया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इस दिशा में और प्रभावी व कारगर योजना बनानी होगी। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने भी जल संचय की दिशा में कार्य किया है, वह जनता के सहयोग से ही संभव हो पाया है।

वहीं उन्होंने कहा कि इस दिशा में हमारे प्रयास भविष्य के लिये भी दृष्टान्त बन सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कामगार किसानों को भी अन्य राज्यों में इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों की जानकारी प्राप्त करने के लिये उनके भ्रमण की भी व्यवस्था कराने को कहा। वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने जिलाधिकारियों को अपने जनपदों में पानी के संकट वाले क्षेत्रों का चिन्हीकरण, जल स्रोतों के रिसोर्स की पुलिंग के साथ ही इसमें आ रही कमी की और ध्यान देने को कहा। आने वाले समय में इस दिशा में कारगर कदम उठाने से ही भविष्य की जरूरतों को पूरा करने में हम सफल हो सकेंगे। इसके लिये छोटे-छोटे जलाशयों के निर्माण सूखे श्रोतों को पुनजीर्वित करने पर ध्यान दिया जाना होगा।

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