कानपुरः देश में कोरोना की दो लहरे आ चुकी हैं। पहली लहर से ज्यादा घातक दूसरी लहर थी। ऐसे में तीसरी लहर भी आने की संभावना सितंबर-अक्टूबर में जताई जा रही है। ऐसे में लोगों के बीच काफी डर का माहौल है। कई देशों में तो कोरोना का ग्राफ फिर से चढ़ने लगा है, जबकि देश के कुछ हिस्सों में संक्रमितों की संख्या में इजाफा हुआ है।
विशेषज्ञों की माने तो पहली और दूसरी लहर के बाद हुए सीरो सर्वे के नतीजे काफी राहत प्रदान कर रहे हैं। सर्वे की मानें तो तीसरी लहर आएगी जरूर, लेकिन पहली और दूसरी लहरों की तरह उतनी घातक नहीं होगी। पिछली दो लहरों की वजह से 70 फीसदी से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। जिसका फायदा ये हुआ कि इनमें एंटीबाडी बन गई है और साथ ही वैक्सीनेशन का काम भी तेजी से चल रहा है।
पहली लहर में 25-30 फीसदी एंटीबाडी
बता दें कि कोरोना की पहली लहर ने अप्रैल से जून 2020 तक कहर बरपाया था। कोरोना का कहर कम होने के बाद 5 से 13 सितंबर तक सीरो सर्वे हुआ, ताकि कोरोना के संक्रमण की गंभीरता और सामान्य व्यक्तियों में इम्युनिटी का पता किया जा सके। पहले सीरो सर्वे में 25 से 30 फीसद में एंटीबॉडी पाई गई।
दूसरी लहर में 60-70 फीसदी एंटीबाडी
कोरोना की दूसरी लहर ने अप्रैल से 20 मई 2021 तक जमकर तबाही मचाई। ये लहर पहली लहर के मुताबिक और भी अधिक घातक रही। इस दौरान न सिर्फ संक्रमितों की संख्या में इजाफा हुआ, बल्कि मौत के भी आंकड़े बढ़े। जब दूसरी लहर काबू में आई तो सरकार ने फिर से सीरो सर्वे कराया र देश में 9 जन से 11 जून तक शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से सैंपल कलेक्ट किए गए। इस दौरान उनमें 60 से 70 फीसदी एंटीबाडी पाई गई।
वैक्सीनेशन का असर
जनवरी 2021 से देश भर में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। देश में अब तक 15 से 16 फीसदी वैक्सीनेशन का काम पूरा हो चुका है। देश की 16 फीसदी आबादी में वैक्सीनेशन के कारण कोरोना के खिलाफ एंटीबाडी डेवलप हुई है।