नई दिल्ली। कोरोना महामारी के चलते देश में लाॅकडाउन के साथ-साथ एक आरोग्य सेतु नामक ऐप लाॅन्च किया गया था। जिसको लेकर विवाद चल रहा है। इस ऐप का उपयोग देश में लगभग 16.24 करोड़ लोग कर रहे हैं। इस ऐप के माध्यम से इन लोगों की जानकारी जुटाई गई है। इन विवादो के चलते एक्टिविस्ट तहसीन पूनावाला ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में तहसीन ने चीफ जस्टिस से आरोग्य सेतु विवाद में संज्ञान लेने का अनुरोध किया है।
जानें क्या है विवाद का कारण-
बता दें कि कोरोना वायरस के प्रसार की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा जिस आरोग्य सेतु ऐप के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है। उसे किसने बनाया, इस बारे में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) को कोई जानकारी नहीं है। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने सरकार के इस जवाब को अतर्कसंगत करार दिया है। आयोग ने एनआईसी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा कि उस पर “प्रथम दृष्टया सूचना को बाधित करने और अस्पष्ट जवाब देने के लिये” क्यों ना सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत जुर्माना लगाया जाए। सीजेआई को लिखे अपने पत्र में तहसीन पूनावाला ने मांग की है कि वह आईटी मिनिस्ट्री से आरोग्य सेतु ऐप के माध्यम से एकत्र किए गए डेटा का पूरे विवरण देते हुए अदालत में एक हलफनामा दायर करने को कहे। पूनावाला ने लिखा, ‘’आरोग्य सेतु ऐप ने न केवल निगरानी के लिए एक उपकरण के रूप में काम किया है। बल्कि इस एप के माध्यम से 16.23 करोड़ से ज्यादा यूजर्स की जानकारी जुटाई गई है। जिसमें रक्षा सेवाओं, सरकारी अधिकारियों, न्यायाधीशों और आम आदमी भी शामिल हैं।इस एप को सरकार ने सभी के लिए अनिवार्य किया था।’’
पूरी तरह विफल रहा आरोग्य सेतू एप- तहसीन
पूनावाला ने आगे लिखा, ‘’आरोग्य सेतू एप जिस उद्देश्य के लिए बनाया गया था, वह उसमें पूरी तरह विफल रहा है। भारत आज कोरोना वायरस के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर है। इस एप को अनिवार्य बनाना किसी भी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करता है। मैं माननीय न्यायालय से अनुरोध करूंगा कि वे इस मामले का स्वतः संज्ञान लें और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को अदालत में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दें।