लखनऊ: केंद्रीय जल आयोग ने दैनिक बाढ़ बुलेटिन की रिपोर्ट जारी करते हुए चिंता व्यक्त की है। रिपोर्ट के अनुसार, मानसून की दस्तक पर उत्तर भारत में नदियां तबाही मचा सकती हैं।
असल में बीते दिनों चक्रवाती तूफान के बाद मुसलसल बारिश ने गंगा के साथ सरयू और उत्तर भारत की कई नदियों का जलस्तर बढ़ा दिया है। वहीं, पूर्वांचल में बाढ़ की आशंका पर विभाग ने इस आपदा से निपटने के लिए कमर कस ली है। बारिश के बाद सरयू के जलस्तर में लगातार एक मीटर की बढ़ोत्तरी देखी जा रही है।
पहले की अपेक्षा बारिश में इस बार नादियों का जलस्तर धीरे-धीरे उफान पर पहुंच रहा है। वहीं, गंगा में बारिश के बाद हरी शैवाल में भारी कमी आंकी गई है। गंगा प्रोजेक्ट पर काम कर रहे प्रोफेसर वीएन मिश्र ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि, नदियों का जलस्तर इस कदर बढ़ रहा है कि हरित शैवालों का टोटा बना हुआ है।
उन्होंने बताया कि, यदि नदियों का जलस्तर तीन मीटर तक ऐसे ही बढ़ता रहा तो नदियां खतरे के बिंदु को पार कर तबाही मचाएंगी। पूर्वाचंल में सबसे ज्यादा सरयू नदी से खतरा बना हुआ है। यह नदी आजमगढ़, मऊ और बलिया जनपद से होकर गुजरती है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन जिलों ताबाही के बादल दिखाई दे रहे हैं। गंगा नदी का जलस्तर समान्य होने के बाद आंकड़ा जारी नहीं हुआ है। घाघरा खतरे के निशान पर बह रही है।