कोरोना वायरस के मामले कम होने के बाद अब ब्लैक फंगस ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है। ब्लैक फंगस का सबसे ज्यादा असर यूपी में देखने को मिल रहा है।
प्रदेश में अब तक ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या 1 हजार के करीब पहंुच गई है। यह वायरस इतना घातक हो चुका है कि अब तक इस वायरस से 80 लोगों की मौत हो चुकी है। जब कि ब्लैक फंगस के 54 मरीजों की आखें भी निकाली गई हैं।
नहीं मिल पा रहा ब्लैक फंगस का इलाज !
कोरोना वायरस के दौरान ही ब्लैक फंगस ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया था। लगातार मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। ऐसे में अब लोगों को इसके इलाज के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि शहरों में मरीजों को अस्पताल में कई सुविधाएं मिल रही है लेकिन ग्रामीण इलाकों में मरीजों को सही तरीके से इलाज नहीं मिल रहा है। जब उन्हें अस्पातलों के लिए रेफर किया जा रहा है तक तब उन मरीजों की हालत काफी नाजुक हो जा रही है।
नहीं मिल रहीं दवाईयां और इंजेक्शन
कुछ दिन पहले गाजियाबाद से एक ऐसा मामला सामने आया था । जिसने सबको हैरान कर दिया था। उस मरीज में फंगस के लक्षण थे। उसे बचाने के लिए एक टीके की जरूरत थी। लेकिन वह इंजेक्शन कहीं नहीं मिला था जिसके कारण उस मरीज की मौत हो गई थी। हालांकि उसके बाद भी कई मरीज ऐसे थे जिन्हें सही से इलाज नहीं मिला पाया था और उनकी भी मौत हो गई थी।
फंगस के कारण 17 मरीजों की निकालने पड़ी थी आंखें
मुरादाबाद में ब्लैक फंगस का असर काफी डरावना था। वहां 17 मरीजों में ब्लैक फंगस के लक्षण पाए गए थे। जिसके चलते उन सभी मरीजों की आखें निकालनी पड़ी थीं। जब कि वाराणसी में 128 मरीजों में से 19 मरीजों की मौत हो गई थी। उसमें भी 14 मरीजों की आंखें निकालनी पड़ीं थी।
निगेटिव मरीजों में भी दिख रहा फंगस
जो मरीज कोरोना से ठीक हो रहें है या किसी की कोरोना रिपोर्ट नेगटिव आ रही है तो उनमें भी ब्लैक फंगस के लक्षण देखें जा रहें हैं। ऐसे में यह आंकड़ें हर किसी को भयभीत कर रहें हैं।
गौरतलब है कि ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देख लखनऊ एसजीपीजीआई को ब्लैक फंगस के इलाज का नोडल सेंटर बनाया गया है। यहां पर करीब 13 डॉक्टरों की टीम तैनात की गई है। सरकार द्वारा एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है ताकि मरीज डाॅक्टरों से सीधे बात कर सकें।